यूपी में हिंसा फैलाने के लिए पीएफआई ने दीनी तालीम के नाम पर करोड़ों की फंडिंग की

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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पूरे उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा के बीच पीएफआई फंडिंग को लेकर चल रही जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। मेरठ रेंज आईजी के अनुसार, अभी तक केवल एक मनी ट्रेल पकड़ा गया है। इसमें करीब आठ करोड़ से ज्यादा की रकम दीनी तालीम और समाजसेवा के नाम पर आई है, जो एक नंबर में दर्शाई गई है। बाकी करोड़ों रुपए भी अवैध ढंग से जुटाने की जानकारी सामने आई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सभी खातों की जांच कर रहा है।

20 दिसंबर को मेरठ सहित कई शहरों में हिंसा हुई। ईडी की जांच में सामने आया कि करीब 120 खातों में करोड़ों रुपये की फंडिंग हिंसा के लिए की गई। ईडी की जांच में मेरठ रेंज पुलिस भी सहयोग कर रही है। मेरठ, बिजनौर, हापुड़, शामली में कुछ संदिग्ध बैंक खातों की जांच जारी है।

बुधवार को मेरठ रेंज के आईजी प्रवीण कुमार ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि वेस्ट यूपी के कुछ संदिग्ध बैंक खातों में आठ करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम आई है। ज्यादातर रकम एक नंबर में है। जाहिर है कि इस काम में चार्टड अकाउंटेंट की मदद ली गई है। आईजी ने माना कि बैंक खातों में करोड़ों की लेनदेन करने वाले इस बात से वाकिफ होंगे कि बाद में खातों की जांच हो सकती है। इसलिए उन्होंने उतना पैसा ही खातों में ट्रांसफर किया है, जो एक नंबर में दिखाया जा सके। आईजी ने यह भी आशंका जताई है कि इससे ज्यादा रकम नकद या हवाला कारोबार के रूप में स्थानीय लोगों तक आई हो। आईजी ने गोपनीय जांच बताते हुए यह खुलासा नहीं किया कि फंडिंग की रकम कितने खातों में आई।

शाहीनबाग से बांटे भड़काऊ पोस्टर
आईजी प्रवीण कुमार ने कहा कि वेस्ट यूपी में पत्थरबाजी करते हुए युवक का पोस्टर सबसे पहले पीएफआई ने जारी किया। कुछ ऐसे पर्चे भी बांटे गए, जिसमें अवैध शस्त्र के साथ युवक दिखाए गए हैं। ये पोस्टर भी पीएफआई ने जारी किए। इन पर्चों पर प्रिंटिंग प्रेस का नाम नहीं लिखा। जानकारी आई है कि दिल्ली के शाहीनबाग में पीएफआई का मुख्यालय है। यहां से भड़काऊ प्रचार सामग्री आसपास के राज्यों को भेजी गई, जिससे सीएए को लेकर हिंसा हुई।

मेरठ में 2007 से पीएफआई
आईजी ने कहा कि साल-2007 में पीएफआई मेरठ में प्रकाश में आई थी। उस पर मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन साक्ष्यों के अभाव में फाइनल रिपोर्ट लगानी पड़ी। अब दो साल से पीएफआई वेस्ट यूपी में ज्यादा सक्रिय हुई है। यह भी तब प्रकाश में आई, जब पीएफआई ने जगह-जगह भड़काऊ पोस्टर लगाने शुरू किए।

दूसरे संगठनों से भी जुड़े हैं लोग
आईजी प्रवीण कुमार ने यह भी आशंका जताई कि पीएफआई से जुड़े लोग दूसरे संगठनों से भी जुड़े हो सकते हैं क्योंकि पीएफआई कोई राजनीतिक संगठन नहीं है। ऐसे में इन लोगों को ट्रेस कर पाना बड़ा मुश्किल है। खुफिया एजेंसियां इस काम में लगी हुई हैं।