सफर के लिए आप जहां जा रहे उसका पूरा पता, डाकघर का नाम और पिन कोड नंबर की जानकारी के साथ ही आरक्षित टिकट बनाने को जाए। इन जानकारियों को आरक्षण फॉर्म पर भरने के बाद ही आपका आरक्षित टिकट बनेगा।
फॉर्म में ये सारी जानकारियां नहीं लिखने पर बिना आरक्षित टिकट के ही वापस लौटना पड़ेगा। रेलवे ने कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए यात्री के डेस्टिनेशन (गंतव्य) जगह सहित अन्य जानकारियों को सांझा करना अनिवार्य कर दिया है। इन तमाम जानकारियों के बिना आरक्षण कर्मी भी आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। कम्प्यूटरीकृत सिस्टम के तहत इन जानकारियों के बाद ही आरक्षित टिकट बनकर मशीन से निकल पाएगा।
समस्तीपुर मंडल के सीनियर डीसीएम सह पीआरओ सरस्वती चन्द्र ने कहा कि ट्रेन में सफर कर चुके किसी यात्री या उसके सहयात्री के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की स्थिति में उसके डेस्टिनेशन (गंतव्य) जगह के पता पर संपर्क किया जा सकेगा। इसके लिए आरक्षण फॉर्म पर यात्री के डेस्टिनेशन (गंतव्य) जगह के पता सहित अन्य जानकारियां देना अनिवार्य कर दिया गया है। जानकारी देने पर ही आरक्षित टिकट बनने लगा है। इस कारण यात्री आरक्षित टिकट बनाने के लिए इन जानकारियों के साथ ही काउंटर पर जाए।
पहले सिर्फ भरने को रहता था आवासीय पता
आरक्षण फॉर्म पर पहले सिर्फ आवासीय पता भरने को रहता था। वह आवासीय पता भी जानकारी के लिए रिकॉर्ड में रखा जाता था। अब उसे भी आरक्षण कर्मी को सिस्टम(कम्प्यूटर) में फीड करना पड़ता है।
अब आरक्षित टिकट बनाने में लगने लगा अधिक समय
डेस्टिनेशन (गंतव्य) जगह के पता सहित अन्य जानकारियां कम्प्यूटर में फीड किए जाने की व्यवस्था के बाद आरक्षित टिकट बनने में अधिक समय लगने लगा है। 20 सेकंड से एक मिनट में बनने वाला आरक्षित टिकट बनाने में अभी सात से आठ मिनट लगने लगे हैं।
आरक्षण काउंटर पर जुटने लगी भीड़
सहरसा स्टेशन के आरक्षण काउंटर पर आरक्षित टिकट बनाने और रिफंड करने वालों की भीड़ जुटने लगी है। ऐसे में एक और आरक्षण काउंटर खोलने की जरूरत महसूस होने लगी है। पिछले कई दिनों से एक दिन में 200 या उससे अधिक टिकट बन और रिफंड हो रहे हैं। मंगलवार को यात्रियों को मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक पवन कुमार राही काउंटर के बाहर कतारबद्ध करा रहे थे।