लता मंगेशकर जब सिर्फ पानी पीकर ही गुजार लेती थीं पूरा दिन…

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नई दिल्ली: लता मंगेशकर आज देश की बहुत बड़ी सिंगर हैं और भारत रत्न से सम्मानित भी. आज उनके पास अपनी मेहनत की वजह से हर ऐशो-आराम है. लेकिन हालात हमेशा ऐसे नहीं थे. एक समय था जब लता मंगेशकर संघर्ष कर रही थी. उन्हें न खाने का ध्यान रहता था, न पीने का. सिर्फ ललक होती थी तो काम करने की. इसी वजह से वे सिर्फ चाय या पानी पीकर ही अपना दिन गुजार लेती थीं. यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ में इसका जिक्र मिलता है.

लता मंगेशकर ने बताया है, “मैं अक्सर रेकॉर्डिंग करते-करते थक जाती थी और मुझे बड़ी तेज भूख भी लग जाती थी . उस समय रेकॉर्डिंग स्टूडियो में कैंटीन होती थी, मगर खाने के लिए कुछ बेहतर मिलता हो ऐसा मुझे याद नहीं. सिर्फ चाय और बिस्किटर वगैरह मिल जाते थे और एक दो कप चाय या ऐसे ही दो-चार बिस्किटों पर पूरा दिन निकल जाता था. कई बार तो सिर्फ पानी पीते हुए ही दिन बीता और यह ध्यान ही नहीं रहा कि कैंटीन जाकर मुझे चाय भी पी लेनी चाहिए. हमेशा यह बात दिमाग में घूमती थी कि किसी तरह बस मुझे अपने परिवार को देखना है. फिर वह रेकॉर्डिंग का वक्त हो या घर का खाली समय. किस तरह मैं अपने परिवार के लिए ज्यादा से ज्यादा कमाकर उनकी जरूरतें पूरी कर सकती हूं. इसी में सारा वक्त निकल जाता था. मुझे रेकॉर्डिंग से या उसकी तकलीफों से इतना फर्क नहीं पडता था. जितना इस बात से कि आने वाले कल में मेरे कितने गीत रिकॉर्ड होने हैं, फलां फिल्म के खत्म होने के साथ मुझे नए कॉन्ट्रेक्ट की दूसरी नहीं फिल्म के गाने कब रेकॉर्ड करने हैं.”