लोकसभा में तीन तलाक बिल ध्वनिमत से पास, अब राज्यसभा में सरकार के सामने असली चुनौती

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नई दिल्ली: लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है. इस बिल के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए हैं. बिल में फौरी तौर पर तीन तलाक को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर गरीब और त्यक्ता मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़ा होना अपराध है तो ये अपराध हम 10 बार करेंगे. हम इसे वोट के तराजू में नहीं तोल रहे और सियासत के चश्मे से नहीं, इंसानियत के चश्मे से देखते हैं.
  1. रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्षी दल का पूरा स्वर भ्रम पैदा करता है, जहां वे समर्थन भी करते हैं और किंतु-परंतु भी करते हैं. वे एक तरफ विधेयक को हड़बड़ी में लाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि इसे पहले क्यों नहीं लाया गया.
  2. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने असदुद्दीन ओवैसी, एनके प्रेमचंद्रन, जॉइस जॉर्ज, बी महताब, ए संपत, अधीर रंजन चौधरी और सुष्मिता देव के संशोधनों को नकार दिया.
  3. बिल को पारित कराने का विरोध करते हुए बीजद और एआईएमआईएम के ओवैसी ने सदन से वाकआउट किया.
  4. अब बिल को राज्यसभा में जाना है, जहां सरकार के सामने असली चुनौती होगी, क्योंकि वहां उसका बहुमत नहीं है. कई दल चाहते हैं कि बिल को स्थायी समिति के पास भेजा जाए.
  5. हालांकि सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आ रही है कि सरकार बिल पर बदलाव के सुझावों पर कुछ नर्म पड़ी है. सजा घटाने पर भी बात हो सकती है.
  6. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 पर सदन में चर्चा के लिए आगे बढ़ाते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 22 अगस्त को तलाक-ए-बिद्दत को पूरी तरह असंवैधानिक बताते हुए संसद से इस संबंध में कानून बनाने पर विचार करने की बात कही थी.
  7. उन्होंने कहा कि एक जज ने कहा कि अगर इस कुप्रथा को कुरान में पाप कहा गया है तो इस आधार पर यह अवैध है.
  8. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम किसी शरीया में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. यह पूरा विधेयक तलाक-ए-बिद्दत पर आधारित है. यह विधेयक किसी धर्म, मजहब या पूजा से नहीं जुड़ा बल्कि लैंगिक समानता के लिए है.
  9. चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने इस कानून के लागू होने के बाद इसका दुरुपयोग मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ होने की आशंका जताई. उन्होंने कहा कि अगर इस कानून में तीन साल की सजा के प्रावधान को देखें तो यदि दोषी पति जेल में है तो पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता कौन देगा, इस पर सरकार ने विचार नहीं किया. सुष्मिता ने पूछा कि क्या इस काम के लिए सरकार कोई निधि बनाएगी.
  10. भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति के कारण मुस्लिम महिलाओं को परेशान होना पड़ा. आज मुस्लिम महिलाएं यह देखकर फैसला लेंगी कि उनके अधिकारों के लिए कौन खड़ा है और कौन उनके खिलाफ खड़ा है. मैं मुस्लिम बहनों को बताना चाहती हूं कि जब आपके नरेंद्र मोदी जैसे भाई हों, तब डरने की कोई जरूरत नहीं है. हम उनके अधिकारों के लिए खड़े हैं.
  11. कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम सब विधेयक के पक्ष में हैं लेकिन इसमें कुछ खामियां और अनिश्चितताएं हैं और सरकार ने भी एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि इस विधेयक के मसौदे को तैयार करने से पहले उसने किसी संगठन और अन्य पक्षों से मशविरा नहीं किया है. ऐसे में कमियों को दूर करने के लिए विधेयक को संसदीय स्थाई समिति को भेजना चाहिए.
  12. बहरहाल, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब बांग्लादेश, मिस्र, मोरक्का, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, ईरान, श्रीलंका, मलेशिया और यहां तक कि पाकिस्तान जैसे देश ‘तीन तलाक’ की प्रथा को लेकर नियम लाते रहे हैं तो भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय होने पर हम खामोश कैसे रहेंगे.