शरिया अदालत के स्थापना की घोषणा से भारतीय मुसलमानों का राजनीतिक नुकसान होगा–इंजीनियर उबैदुल्लाह

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बिहार मुस्लिम युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर उबैदुल्लाह ने कहा कि दारुल-क़ज़ा भारत के लिए नई चीज नहीं है बल्कि देश के अधिकतर शहरों में पहले से ही स्थापित है। लेकिन प्राथमिक प्रशन यह है कि हमारे कितने वैवाहिक एवं परिवारिक मामले यहाँ हल होते हैं?कितने विवादों के निपटारे के लिए हम शरिया अदालत में जाते हैं?उन्हों ने कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय के लोग वहाँ संपर्क करे तो अधिकतम मामलों का निपटारा संभव है लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हम सबसे पहले मुस्लिम समुदाय में इस बात की जागरूकता पैदा करें ताकि लोगों को पता चल सके कि किन -किन मामलों का निपटारा शरीया अदालत में संभव है । इंजीनियर उबैदुल्लाह ने कहा कि “अदालत” शब्द का प्रयोग उचित नही है। भारत में लोग अदालत का मतलब अदालत ही कल्पना करते हैं लेकिन जब हम शरीया अदालत कहते हैं तो उसके ग़लत अर्थ निकाले जाते हैं। उन्होंने कहा कि शरिया अदालत को इस प्रकार से आलोचना किया जाएगा जैसे भारत के मुसलमान भारतीय अदालत के समकक्ष कोई दूसरी अदालत स्थापित कर रहे हों जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। सच बात तो यह है कि पूर्व के दिनों में सरकार के दुवारा शरीया अदालत स्थापित हुई थी और उसमें पारिवारिक विवादों का निपटारा होता था। बल्कि देश में अधिक से अधिक शरीया अदालत सरकार दुवारा स्थापित होनी चाहये ताकि अदालतों पर बोझ कम हो इंजीनियर उबैदुल्लाह ने कहा कि आज अगर कोई दारुल-क़ज़ा या शरीया अदालत का विरोध कर रहा है तो उसका मकसद केवल वोट की राजनीत हो सकती है और ये विरोध केवल वोट की धुर्वी करण के लिए की जा रही है अंत मे इंजीनियर उबैदुल्लाग ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भी चाहये था कि वो इस बात का चर्चा अभी नहीं करता ये उचित समय नहीं है ।।