ईंधन की बढ़ती कीमतों का असर जल्द ही आपके दैनिक उपभोग की वस्तुओं की महंगाई के रूप में देखने को मिलेगा। विश्लेषकों का कहना है कि डीजल की कीमत बढ़ने का असर माल ढुलाई पर पड़ रहा है, जिसकी वजह से फल-सब्जियों की कीमत में 10-15 फीसदी, जबकि एफएमसीजी वस्तुओं की कीमतों में पांच फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत काम करने वाले पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में एक अगस्त 2018 को डीजल की कीमत 67.82 रुपये थी, जबकि पेट्रोल की कीमत 76.31 रुपये थी।
31 अगस्त, 2018 को पेट्रोल की कीमत बढ़कर प्रति लीटर 78.52 रुपये हो गई, जबकि डीजल की कीमत 70.21 रुपये। इस तरह, बीते अगस्त महीने में दिल्ली में डीजल की कीमत में प्रति लीटर 2.39 रुपये, जबकि पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 2.21 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
चार फीसदी और बढ़ेगा ट्रक भाड़ा
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के सीनियर फेलो एसपी सिंह का कहना है कि बीते अगस्त महीने के पहले पखवाड़े में ही डीजल के दाम में प्रति लीटर 1.27 पैसे की बढ़ोतरी हो चुकी थी। इस वजह से ट्रक भाड़े में तीन से चार फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। दूसरे पखवाड़े के दौरान डीजल की कीमतें और बढ़ी हैं, तो ट्रक का भाड़ा करीब इतना ही और बढ़ जाएगा।
देशभर में बढ़ेगी महंगाई
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी का कहना है कि डीजल की कीमतों में इतनी बढ़ोतरी होने का असर एक साथ पूरे देश पर पड़ेगा। माल परिवहन के लिए डीजल ही मुख्य ईंधन है और इसकी कीमतें बढ़ने का असर माल भाड़े पर दिखेगा।
भारत में उद्योग जगत के माल परिवहन की लागत करीब 17 फीसदी है, मतलब ढुलाई खर्च बढ़ने का असर तैयार उत्पाद पर पड़ेगा। उनका कहना है कि इस वजह से एफएमसीजी कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा और वे कीमतों में बढ़ोतरी पर विवश होंगी, क्योंकि इससे पहले भी ढुलाई खर्च बढ़ने की वजह से उन्होंने दाम नहीं बढ़ाया था। अब उनके उत्पादों की कीमतों में पांच फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।
परिवहन पर अत्यधिक व्यय
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि फल तथा सब्जियों (बागवानी फसल) के मूल्य में ढुलाई का भारांक आम वस्तुुओं के मुकाबले ज्यादा है, क्योंकि अलग-अलग किसान के पास कम मात्रा में फल-सब्जी होती है और उन्हें अपने उत्पाद को मंडी तक पहुंचाने में बड़ी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा खर्च करना पड़ता है।
फलों की तो स्थिति कुछ अलग ही है। सेब को देखें तो यह इसकी पैदावार जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में होती है, लेकिन इसका वितरण केंद्र दिल्ली है। उसी तरह चीकू का उत्पादन गुजरात में होता है, जबकि उसका देशभर में वितरण दिल्ली से होता है। इन पर भी डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का कुछ ज्यादा ही असर होगा। उनका कहना है कि डीजल की कीमत के आसमान पर पहुंचने से फल-सब्जी की कीमतों में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।