सृजन महाघोटाला में बड़ा खुलासा, मनोरमा ने बड़ी कंपनियों में लगाये करोड़ों रुपये

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भागलपुर [जेएनएन]।  सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की संचालिका मनोरमा देवी स्वरोजगार की आड़ में सरकारी राशि को बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में निवेश करती थी। सबौर के इंडियन बैंक शाखा के कर्मी अजय कुमार पांडेय ने मंगलवार को पुलिस के समक्ष इसका खुलासा किया है।

उसने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि सृजन संस्था के खाते से मोटी धनराशि आरटीजीएस के जरिए नोएडा की कंपनी ‘गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड’ के खाते में विशेष रूप से भेजी जाती थी। उसने बताया कि यह रकम एक दिन में करोड़ों रुपये में होती थी। मनोरमा और उनके करीबियों के कहने पर यह राशि भेजी जाती थी।

पुलिस कर रही थी जांच अब सीबीआइ के निशाने पर

पुलिस अब क्लर्क अजय के बयान की सत्यता परखने के लिए कंपनी का प्रोफाइल खंगाल रही थी। पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार यह कंपनी दिल्ली के नोएडा में रियल एस्टेट, कंस्ट्रक्शन समेत अन्य बड़े प्रोजेक्ट पर काम करती है।

पुलिस इस मामले में कंपनी के निदेशक मंडल का भी भागलपुर कनेक्शन खंगालने में लगी हुई है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों की मानें तो कंपनी के निदेशकों का कोई कनेक्शन भागलपुर से नहीं जुड़ा है। किंतु पुलिस को आशंका है कि इस कंपनी में निवेश के पीछे कोई न कोई व्यक्ति जरूर है।

इंडियन बैंक से राशि का हुआ स्थानांतरण 

सूत्रों की मानें तो पुलिस को दिए बयान में अजय ने दावा किया था कि ‘गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड’ को इंडियन बैंक की शाखा से सबसे ज्यादा धनराशि आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर की गई है। उसने पुलिस को इसके अलावा अन्य व्यवसायियों के बारे में भी जानकारी दी थी कि मनोरमा उन लोगों को एक दिन में 50 लाख रुपये से ज्यादा की राशि देती थी।

इसमें रिबॉक शोरूम के संचालक विपिन शर्मा, सीए प्रणव कुमार घोष, बिग शॉप के किशोर कुमार, कलिंगा शोरूम के एनवी राजू, सबौर के पूर्व रालोसपा नेता दीपक वर्मा उर्फ अभिषेक वर्मा समेत अन्य शामिल थे।

अन्य बैंकों की गतिविधियों की भी हो रही जांच

एसआइटी द्वारा गार्डेनिया को पैसा ट्रांसफर करने मामले में अन्य बैंकों के रिकार्ड की भी जांच की जा रही थी कि कहीं किसी और बैंक से तो गार्डेनिया के खाते में राशि का हस्तांतरण तो नहीं हुआ है। हालांकि अब इसकी जांच सीबीआइ करेगी।

जांच का जिम्मा सीबीआइ को मिलने के बाद बैंक से सरकारी राशि प्राइवेट कंपनी में जमा करने मामले में बड़े नामों को खुलासा हो सकता है। इस मामले में किसी कंपनी अधिकारी या पदाधिकारी से संपर्क नहीं हो पाया।