सेक्युलरिज़्म के नाम पर मुस्लमानो को मूर्ख बना कर सेक्युलर पार्टियां साज़िश के तहत मुस्लिम नेतृत्व को समाप्त करने की कोशिश कर रही है-इंजीनियर उबैदुल्लाह।

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*सेक्युलरिज़्म के नाम पर मुस्लमानो को मूर्ख बना कर सेक्युलर पार्टियां साज़िश के तहत मुस्लिम

नई दिल्ली – आज भारतीय मुस्लमानो की स्थिति ऐसे है जैसे ख़रबूज़ा ” छुरी ख़रबूज़ा पर गिरे या ख़रबूज़ा छुरी पर हर हाल में नुकसान ख़रबूज़े का ही होना है । बहरहाल बिहार मुस्लिम युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के मुस्लिम सलाहकार समिति के सदस्य इंजीनियर उबैदुल्लाह ने कहा है कि देश भर की सभी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों ने मुसलमानों को मूर्ख बनाने का काम किया है हमेशा मुस्लिम समुदाय को BJP और RSS का भय दिखा कर चुनाव में वोट लेते है उसके बाद कभी मुड़ कर मुसलमानों की तरफ झांकते भी नहीं हैं मुसलमानों के लिए विकास का काम एवं उनके अधिकारों की बात तक करना बहुत दूर की बात है। उन्हों ने कहा कि जो भी राजनीतिक दल मुसलमानों का वोट चाहते हैं उनको चाहये की मुसलमानों के मुद्दों को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करें और सुनिश्चित करे कि मुसलमानों का खोया हुआ स्वभिमान वापस लौटाने का काम करेंगे मुख्यतः सच्चर कमिटी और रंगनाथ मिश्र कमिटी की सभी सिफारिश लागू किया जाएगा जितना जल्दी हो पायेगा एवं दंगा विरोधी कानून, मोब्लिंचिंग के विरुद्ध क़ानून, एवं वक़्फ़ सम्पतियों की सुरक्षा के लिए कानून बना कर उसको सुरक्षित करके वक़्फ़ सम्पतियों का सही उपयोग करके मुसलमानों के विकास के लिए खर्च किया जाएगा। उन्हों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि देश भर में मूलरूप से बिहार में 1 षड्यंत्र के तहत मुस्लिम नेतृत्व को खत्म किया जा रहा है मुसलमानों को मग्गठबंधन के नाम पर ठगा जा रहा है अगर ये तथकथित सेक्युलर पार्टियों के लोग सच मे प्रधानमंत्री मोदी को पराजित करना चाहते हैं तो क्यों नहीं स्पा,बसपा, RLD, एवं अपने आपको को मोदी विरोधी या भाजपा विरोधी कहने वाले पार्टियों के मुख्य प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव क्यों नही चुनाव लड़ते है? सब ने बस ढोंग रचा हुआ है मोदी का भय दिखा कर अल्पसंख्यक समुदाय का वोट लेने का मैं तो यह कहता हूँ कि बिहार में महागठबंधन ने आपने सीटों का विभाजन जातीय आधार पर किया है एवं प्रतियाशी भी इसी आधार पर घोषित किया है अगर आप सच में ईमानदारी से मोदी को हराना चाहते हैं तो अपने बिहार में AIMIM को 1 सीट क्यों नहीं दिया या उसको भी गठबंधन का1 न्योता क्यों नही दिया इस से साफ जाहिर होता है कि आप मुसलमानों की भागीदारी के हिसाब से हिस्सेदारी देना ही नहीं चाहते हैं केवल आपको वोट से मतलब है। अंत में उन्हों मुस्लिम मतदातों से अपील किया है कि वह अपनी राजनीतिक , आपसी एकता एवं लोकतांत्रिक समझ-बूझ से इस बात पर निष्चय कर कर लें कि जबतक मुस्लिम मुद्दों का हल नहीं निकलेगा तबतक किसी भी पार्टी को मुस्लिम वोट नहीं मिलेगा। हमारी अपील है कि केवल उस पार्टी को वोट दिया जाए जो हमारे अधिकारों को सुनिश्चित करे अगर कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं करती है तो मुस्लिम समुदाय के लोग NOTA का बटन दबाएं मगर मतदान अवश्य करें।