नई दिल्ली: बिहार की सत्ता से हाल में ही दूर हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की 27 अगस्त को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाली ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली को न केवल राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि इस रैली को उनकी राजनीतिक साख और राजनीतिक पूंजी से जोड़कर भी देखा जा रहा है. रैली के पूर्व ही भाजपा के विरोधी दलों के कई महत्वपूर्ण नेताओं के इसमें नहीं आने के ऐलान से विरोधी दलों की एकता की मुहिम को झटका लगा है. महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जा मिलने के बाद पटना में होने वाली राजद की इस रैली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मायावती के नहीं आने से रैली का राजनीतिक रंग फीका होना तय माना जा रहा है. कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और बिहार प्रभारी सीपी जोशी रैली में शरीक होंगे. राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने दावा किया यह अभूतपूर्व रैली होगी. उन्होंने कहा कि यह रैली राजद की रैली है, जिसमें एक विचार के दलों को आमंत्रित किया गया है. इन दलों में कई बड़े नेता हैं . सोनिया गांधी और राहुल गांधी बड़े नेता हैं, वे लोग अपना प्रतिनिधि भेज रहे हैं. सिंह ने दावा कि यह विशाल रैली होगी, अगर सभी नेता पहुंच गए, तब क्या होगा?
बिहार के 38 में 19 जिलों के बाढ़ प्रभावित होने से भी रैली में भीड़ जुटने पर सवालिया निशान लगा है. लेकिन, राजद के कार्यकर्ता इस रैली को लेकर काफी उत्साहित हैं. पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी कई क्षेत्रों में जाकर लोगों को इस रैली में आने का आमंत्रण दिया है.
रैली में भाजपा विरोधी दलों के नेताओं के मुख्य चेहरों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जद (यू) से बागी हुए शरद यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का अभी तक भाग लेना तय माना जा रहा है.