हम कांग्रेस के ‘चिरकुट’ नेताओं का नोटिस नहीं लेते : लालू यादव

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पटना: राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव हर दिन कांग्रेस के किसी न किसी विधायक की ओर से आने वाले बयानों से नाराज हैं. लालू ने ऐसे विधायकों को ‘चिरकुट’ की संज्ञा देते हुए कहा है कि वो इनका नोटिस नहीं लेते. लालू के रुख से साफ़ है कि वो कांग्रेस के अंसतुष्ट विधायकों के साथ किसी तरह की बातचीत करने के मूड में नहीं हैं. लालू ने कहा कि गठबंधन कोई जानवर नहीं हैं जिसे बांधकर रखा जाए.

निश्चित रूप से लालू के इस बयान से कांग्रेस के अंसतुष्ट विधयाकों का गुस्सा और बढ़ेगा जो उनके साथ जाने को लेकर पार्टी आलाकामन से लेकर पटना की सड़कों तक मुखर हैं. लालू के बयान से साफ़ है कि कांग्रेस में ऐसे विधायक अगर पार्टी आलाकमान की दुहाई देकर रह भी जाएं तो लालू चुनाव के ऐन मौके पर उनसे बदला लेंगे.

लालू यहीं नहीं रुके, उन्होंने ये भी साफ़-साफ़ कह दिया है कि जहां तक सीटों पर समझौते का प्रश्न है, ये सब बातें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ चुनाव के वक्त होगी न कि अभी. कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने मांग की थी कि लालू यादव को चुनाव से पूर्व अभी ये स्पष्ट करना होगा कि वो आखिर लोकसभा और विधानसभा में पार्टी को कितनी सीटें देंगे. सिंह का कहना था कि लालू चुनाव के पूर्व कुछ भी सीटें देकर पार्टी को मजबूर करते हैं कि वो कम से कम सीटों पर चुनाव लड़ पाए. लालू ने स्पष्ट कर दिया कि ये सब उन्हें मंजूर नहीं और समझौता उनकी शर्तो पर होगा.

ये कोई पहली बार नहीं कि जब लालू यादव ने कांग्रेस पार्टी के विधायकों के लिए कटु शब्दों का इस्तेमाल किया हो. सृजन घोटाले के मुद्दे पर जब भागलपुर में उन्होंने रैली को संबोधित किया था तब उन्होंने स्थानीय कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा का नाम लेकर आलोचना की थी. इस बार अपने खिलाफ मुखर विधायकों के पूरे गुट को ही उन्होंने ‘चिरकुट’ का नाम दे दिया है जो इन विधायकों के गले नहीं उतरेगा. लालू से नाराज इन विधायकों का मानना है कि ऐसे शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल कर लालू ने कांग्रेस विधयक दल में फूट को और गति दे दी है. राजद के नेता अपने नेता का बचाव करते हुए कहते हैं कि लालू यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, इसलिए उन्होंने क्या गलत कहा, अगर वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीटों के तालमेल पर बात करेंगे. कांग्रेस विधायक हर दिन लालू यादव को निशाने पर रखकर प्रचार पाते हैं, तब उन्हें समझना चाहिए कि आखिर उनकी क्या औकात है.

बिहार में कांग्रेस पार्टी के 27 विधयक हैं और विधायक दल लालू यादव के साथ तालमेल को लेकर दो फाड़ है. अधिकांश विधायकों का कहना है कि नीतीश कुमार जितना सम्मान के साथ उनके साथ व्यवहार करते थे, लालू यादव का उनके प्रति रुख बिलकुल उल्टा है. कई विधयकों को अभी से डर है कि लालू यादव के नेतृत्व में अगर वो आगामी विधानसभा चुनाव में गए तो उनका वापस विधानसभा में लौटना असंभव है. वहीं कई विधायक मानते हैं कि लालू यादव के साथ रहकर ही बिहार में अब नीतीश और बीजेपी के साथ मुकाबला किया जा सकता है.

हालांकि बिहार कांग्रेस में विभाजन की आशंका को देखते हुए पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जहां बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चौधरी और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह के साथ बातचीत की थी. वहीं, राहुल ने सभी विधायकों के साथ एक-एक कर मुलाकात की थी. इन मुलाकातों के बाद अशोक चौधरी का जाना तय माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस आलाकमान को ये डर लग रहा हैं कि विधायक दल में फूट कराने के पीछे वो सबसे ज्यादा सक्रिय हैं.