पंजाब में गिरते भू जल स्तर को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि पांच माह बाद से सूबे में निर्माण व बागवानी में साफ पानी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाएगी। इसके लिए एसटीपी का ट्रीटेड पानी इस्तेमाल करना अनिवार्य किया जाएगा। पांच माह में इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने पंजाब के इस हलफनामे को रिकार्ड पर लेकर सुनवाई स्थगित कर दी। मामले में याचिका दाखिल करते हुए एडवोकेट एचसी अरोड़ा ने विभिन्न रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि पंजाब में भू जल स्तर तेजी से गिर रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण निर्माण कार्यों में भूजल का प्रयोग बताया गया था। हाईकोर्ट में यह याचिका 2012 में दाखिल की गई थी।
अब 2019 मे जाकर पंजाब सरकार ने फैसला लिया है कि पांच माह बाद से पूरे पंजाब में निर्माण कार्य और बागवानी के लिए सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट का पानी इस्तेमाल करना अनिवार्य किया जाएगा। वहीं दूरदराज के इलाकों में भी इस नियम को लागू करने के लिए पंजाब सरकार ने दो साल की मोहलत मांगी है।
पंजाब सरकार ने कहा कि एसटीपी से पानी की सप्लाई की पूरी व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल यह तय किया जा रहा है कि एसटीपी से ट्रीट किया गया पानी किस दाम पर लोगों को दिया जाएगा।
नए प्लांट होंगे स्थापित
पंजाब सरकार की ओर से बताया गया कि बड़े शहरों में तो प्लांट मौजूद हैं लेकिन कुछ स्थानों पर इसकी कमी है। अब ऐसे स्थानों की पहचान की जा रही है जहां इस तरह के प्लांट लगाना जरूरी है। आने वाले कुछ माह में कई एसटीपी स्थापित करने की योजना है। साथ ही यह भी बताया कि लोगाें को ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल करने के लिए जागरूक भी किया जाएगा।