भारत के जीडीपी के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर कटाक्ष किया है. दरअसल चौथी तिमाही में भारत के जीडीपी विकास दर में आई गिरावट पर तंज कसा गया है. चीनी मुखपत्र के रिपोर्टर शियाओ शिन ने लिखा है, ”ऐसा लगता है कि ड्रैगन बनाम हाथी की रेस में भारत को झटका लगा है क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित रूप से गिरावट दर्ज की है. इससे स्पष्ट है कि पहली तिमाही में चीन फिर से सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है.”
शियाओ शिन ने अर्थव्यस्था में गिरावट के लिए नोटबंदी जैसे सख्त कदमों को जिम्मेदार ठहराया है. इस संदर्भ में उन्होंने लिखा है, ”इनको देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत सरकार को नवंबर में लिए गए (नोटबंदी जैसे) कड़े फैसले से पहले गंभीरता से विचार करना चाहिए था.”
उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के तत्काल बाद की तिमाही जनवरी-मार्च में वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत रही है. नोटबंदी 9 नवंबर, 2016 को की गई थी. कुल मिलाकर देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है. कृषि क्षेत्र के काफी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है. पिछली तिमाही में जो गिरावट दर्ज की गई है, वह पिछले दो वर्षों में सबसे कम है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 6.6 प्रतिशत पर आ गया, जोकि 2015-16 में 7.9 प्रतिशत रहा था. नोटबंदी से 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही में जीवीए प्रभावित हुआ है. इन तिमाहियों के दौरान यह घटकर क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत पर आ गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाहियों में 7.3 और 8.7 प्रतिशत रहा था. नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई.
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले समान तिमाही में 12.7 प्रतिशत रही थी. निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर नकारात्मक रही.