नई दिल्ली। भारत के मून लैंडर विक्रम से उस समय संपर्क टूट गया, जब वह शनिवार तड़के चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहा था। तभी अचानक उसमें आई गड़बड़ी के बाद देशभर में मिशन को लेकर मायूसी छाई हुई है। इसी बीच शनिवार को डीडी न्यूज को दिए इंटरव्यू में इसरो चीफ के सिवन ने बताया कि, उम्मीद की किरण अभी बची हुई है और अगले 14 दिनों तक हम विक्रम से संपर्क स्थापित करने की कोशिश करेंगे। साथ उन्होंने ऑर्बिटर को लेकर एक गुड न्यूज दी है।
एक साल तक चलने वाला ऑर्बिटर अब सात साल तक चलेगा
चंद्रयान के साथ गये ऑर्बिटर के बारे में बताते हुए के सिवन ने कहा कि ऑर्बिटर की लाइफ मात्र एक साल के लिए तय की गई थी, लेकिन ऑर्बिटर में मौजूद अतिरिक्त ईंधन की वजह से अब इसकी उम्र 7 साल तक लगायी जा रही है। इसरो के दूसरे अभियानों के बारे में डॉ के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 में आई दिक्कत का कोई असर इन मिशन पर नहीं पड़ेगा। डॉ सिवन ने कहा कि इसरो के दूसरे अभियान तय समय पर होंगे।
चांद की सतह पर 10 मीटर तक पोलर रीजन में पानी और बर्फ का पता लगा सकते
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के दो उद्देश्य हैं। एक साइंस और टेक्वॉलजी डिमांस्ट्रेशन है। साइंस पार्ट ज्यादातर ऑर्बिटर के जिम्मे है जबकि दूसरे पार्ट में लैंडिंग और रोवर था। साइंटिफिक पार्ट में देखें तो ऑर्बिटर में विशेष पेलोड्स हैं और हम इसके जरिए चांद की सतह पर 10 मीटर तक पोलर रीजन में पानी और बर्फ का पता लगा सकते हैं। के सिवन ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमारे लिए प्रेरणा और सपॉर्ट के स्रोत हैं और उनकी आज की स्पीच ने हमें प्रेरणा दी है। मैंने पीएम की स्पीच से एक स्पेशल बात नोट की है कि साइंस को परिणाम के लिए प्रयोग के लिए जाना चाहिए क्योंकि प्रयोग से ही परिणाम आता है।
के सिवन ने कहा-चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ खत्म नहीं हुआ है
के सिवन ने कहा, ‘विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है, हालांकि भारत के मून लैंडर विक्रम के भविष्य और उसकी स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं हो, लेकिन 978 करोड़ रुपये लागत वाला चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ खत्म नहीं हुआ है।