खास बातें
- 26 सितंबर 1932 को हुआ था मनमोहन सिंह का जन्म, 87 साल के हुए
- पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई, स्वस्थ और दीर्घायु रहने की कामना की
- 90 के दशक में आर्थिक सुधारों के लिए याद किए जाते हैं मनमोहन सिंह
- साल 2004 और 2009 में प्रधानमंत्री बने, वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह गुरुवार को 87 साल के हो गए। 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब (अब पाकिस्तान) के एक गांव में जन्मे मनमोहन सिंह दो बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में वह राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं। मनमोहन सिंह के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है। वहीं, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेताओं और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी डॉ. सिंह को जन्मदिन कर बधाई दी।
पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं। मैं उनके लंबे और स्वस्थ्य जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं।
87 साल के हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पीएम मोदी और राहुल समेत कई नेताओं ने दी बधाई
कांग्रेस ने सेवा और योगदान को सराहा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई दी और सार्वजनिक जीवन में उनकी सेवा और योगदान को याद किया।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के जन्मदिन पर हम उनकी निःस्वार्थ सेवा, समर्पण और राष्ट्र निर्माण में उनके शानदार योगदान को याद करते हैं। जन्मदिन पर उन्हें मेरी शुभकामनाएं। मैं उनकी अच्छी सेहत और खुशहाली की कामना करता हूं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 10 वर्षों तक देश का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और विद्वान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के जन्मदिवस पर उन्हें बधाई व शुभकामनाएं। उन्होंने श्री सिंह के स्वस्थ और दीर्घायु रहने की कामना की। पार्टी के कई अन्य नेताओं ने भी सिंह को जन्मदिन की बधाई दी।
‘डॉ. सिंह के ज्ञान की फिलहाल सबसे ज्यादा जरुरत’
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने कहा कि चार जुलाई, 1991 के अपने बजट के जरिए डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदल दिया था। देश को उनके ज्ञान की फिलहाल सबसे ज्यादा जरूरत है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बधाई देते हुए कहा कि मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह मनमोहन सिंह की बातों को सुने। अगर इस वक्त देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने का रास्ता कोई दिखा सकता है तो वह मनमोहन सिंह हैं।
आईएनएक्स मीडिया मामले में तिहाड़ जेल में बंद चिदंबरम की तरफ से उनके परिवार ने उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर यह टिप्पणी पोस्ट की।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की है पढ़ाई
manmohan singh – फोटो : PTI
मनमोहन सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से 10वीं की परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए। ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से साल 1957 में उन्होंने प्रथम श्रेणी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट हुए। साल 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में पीएचडी की।
अर्थशास्त्र के शिक्षक बने, वित्त मंत्रालय में सलाहकार रहे
पीएचडी कर डॉक्टर की उपाधि लेने के बाद मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र भी पढ़ाया। शिक्षक के रूप में भी वह छात्रों के पसंदीदा रहे। उन्हें जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में भी नियुक्त किया गया था।
1971 में डॉ सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार और 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) के अध्यक्ष भी रहे।
ऐसे शुरु हुआ राजनीतिक करियर
Sonia gandhi, rahul, Manmohan Singh – फोटो : ANI
कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह साल 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद वह साल 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर राज्यसभा सदस्य रहे। 1998 से 2004 तक जब भाजपा सत्ता में थी, तब वही राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। 1999 में उन्होंने दक्षिणी दिल्ली से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए।
साल 2004 में जब कांग्रेस सत्ता में आई, तो डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनाए गए। साल 2009 में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता बचाने में कामयाब रही और एक बार फिर डॉ. सिंह प्रधानमंत्री बने।
बेहतर वित्तमंत्री के तौर पर किए आर्थिक सुधार
मनमोहन सिंह 1991 से 1996 तक वित्तमंत्री रहे। 1990 का दशक वैश्वीकरण के लिए जाना जाता है और देश में आर्थिक सुधारों के लिए वह हमेशा याद किए जाते हैं। विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करवाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। उनकी भूमिका की सभी सराहना करते हैं।
मनमोहन सिंह ने राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन में 1993 में साइप्रस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।