रूरल डेवलपमेन्ट ट्रस्ट अड़रिया संग्राम दुवारा दिया जा रहा है देशी चिकित्सा को समाज में स्थापित करने का प्रेरणा

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पारंम्परिक चिकित्सा स्वास्थ्य संर्वधण एवं संरक्षण कार्यक्रम विगत 6 वर्षो से घोघरड़ीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ, जगतपुर-मिजेरियर जर्मनी के सहयोग से रूरल डेवलपमेन्ट ट्रस्ट अड़रिया संग्राम के आयोजन में, झंझारपुर प्रखंड के तीन पंचायत नवानी, परसा, संग्राम के 15 गाँव नवानी, सिरखड़िया, परमानपुर, परसा, सोहपुर, सिंगदाहा, गरहाटोल, संग्राम, अड़रिया सपाहा, आदि गाँव में देशी चिकित्सा के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। रूरल डेवलपमेंन्ट ट्रस्ट के संरक्षक मो0 सादुल्लाह ने बताया कि देशी चिकित्सा के प्रति जागरूकता कार्यक्रम कई प्रकार से चलाया जा रहा है। साईकिल संवाद यात्रा, समुदायी आधारित बैठक, स्कूल के छात्र छात्रों के साथ बैठक, सार्वजनिक स्थानों पर वॉल पेन्टिग, निःशुल्क औषधिय पौधा का वितरण, औषधी पौधा में पाया जाने वाला गुण एवं उपयोग विधि लिखकर पौधा के सामने लगाना आदि प्रकार से जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। देशी चिकित्सा को समाज में स्थापित करने का प्रेरणा जी0पी0एस0भी0एस0 के संस्थापक श्री तपेश्वर सिंह से मिला, देशी चिकित्सा विषय पर कार्य करने के उपरांत समाज के प्रति अनेकों प्रकार कि जानकारिया प्राप्त हुआ, समाज में कई ऐसे व्यक्ति मिले जिसका शरीर कई गम्भीर रोग से ग्रास्ति है। पर उस व्यक्ति को कुछ पता नहीं हैं, रोगी अपने शरीर के रोग से जानकारी के अभाव में पूरी तरह से अनभिज्ञ होते है। कुछ दिनों के बाद जब रोग विकराल रूप ले लेता है तब पिड़ित व्यक्ति अपनी हेसियत के हिसाब से आधुनिक चिकित्सालय कि और भागते है। समाज में कई ऐसी परिवार से सामना हुआ जो अपनी वार्षिक आय से कई गुना अधिक पैसा अपने स्वास्थ्य पर खर्च करता है। जब परिवार आर्थिक स्थिति पुरी तरह से कमजोड़ हो जाती है तब पिड़ित परिवार आयुष चिकित्सक कि खोज करते है। आयुष चिकित्सक उसके बाद भी अपनी सेवा पिड़ित व्यक्ति को देते है कई मामलों में लाभ भी प्राप्त होता है और कई मामलों में बहुत देर हो जाने के कारण रोगी को लाभ प्राप्त नहीं होता है। घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ-जगतपुर के अध्यक्ष रमेश कुमार सिंह के मार्गदर्शन में मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सहरसा, समस्तीपुर, जिला में पारंम्परिक वैद्य कि खोज भी किया गया है, पारंम्परिक वैद्य खोज के क्रम में देशी चिकित्सा को समाज के द्वारा उपेक्ष करने कि बात सामने आया। पारंम्परिक वैद्य की अपनी एक अलग पीड़ा है। वैद्य लोगों से जो जानकारी प्राप्त हुआ पारंम्परिक वैद्य लोगों का कहना हुआ कि हमलोग समाज में लाज शर्म से अपने आपको वैद्य कहना छोड़ दिया था, में धन्यवाद देता हूँ घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ जगतपुर और अन्य सहयोगी संस्था को जो पिछले 6 वर्षो से देशी चिकित्सा को समाज में स्थापित करने हेतु हमलोगों का सहयोग ले रहे हैं, साथ ही समाज में देशी चिकित्सा को बढ़ाने के साथ-साथ हम सभी पारम्परिक वैद्य को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान किया है। स्वयं सेवी संस्था के प्रयास का प्रभाव है कि पुनः हमलोग समाज में रोगी का उपचार करते हैं औषधी पौधा से दवा का निर्माण करते है और अपने आप को पारंम्परिक वैद्य कहलाने में गर्व महशुस करते है। रूरल डेवलपमेन्ट ट्रस्ट के संरक्षक मो सादुल्लाह ने जानकारी दिया कि 65 सार्वजानिक स्थानों पर वॉल पेन्टीग किया गया है जिसमें औषधि गुण वाले पौधा का चित्र के साथ औषधी गुण उपयोग विधि लिख कर पौधा के सामने लगाया गया है। 203 सार्वजनिक स्थानों पर उर्दु भाषा एवं हिन्दी भाषा में दिवाल लेखन का कार्य गया है। मदरसा के बच्चों के साथ भी समय-समय पर बैठक किया जाता है। 31 हर्बल गार्डन का निर्माण किया गया है। ट्रस्ट कार्यलय परिषर में मास्टर हर्बल नर्सरी का निर्माण किया गया है, जिसमें 29 प्रकार के औषधी गुण वाला पौधा मौजुद है। आर0डी0टी0 संरक्षक मो. सादुल्लाह ने आगे बताया कि कार्यक्रम का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर दिखने लगा है। ट्रस्ट कार्यलय परिषर पहुँच कर ट्रस्ट के कार्यकर्त्ता से औषधी गुण वाले पौधा के संबंध में ग्रामीण जानकारी प्राप्त करते हैं। ट्रस्ट कार्यालय पहुंचने वाले रोगी में सब से अधिक मधुमेह रोगी आते है, मधुमेह रोग में गुड़मार का पौधा सदा बहार का फुल लाभदायक होता है। ट्रस्ट कार्यलय पहुँचने वाले सभी रोगी को निःशुल्क औषधी पौधा उपलब्ध कराया जाता है रोगी को विस्तार पूर्वक उपयोग विधि भी लिख कर दिया जाता है। आर0डी0टी0 संरक्षक मो0 सादुल्लाह ने बताया कि देशी चिकित्सा को समाज में पुरी तरह से स्थापित करने हेतु अभी और कार्य करने कि अवश्यकता है। इस विषय पर आज के युवा पीढ़ी को जागरूक करने की अवश्यकता है, आज के युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति अपनी धरोहर कि रक्षा करना नहीं जानते है। इन सभी बातों का एक मुख्य कारण यह भी है कि आज हमारा समाज एकल परिवार के रूप में जीना ज्यादा पसंद करने लगा है। परिवार में नानी, दादी, नाना, दादा, का महत्व एवं विचार दिन प्रतिदिन समाप्त होती जा रही है। दादी नानी से परिवार के बच्चों युवा पीढ़ी को परिवार में किसी प्रकार का सुभ कार्य के समय भेट होती है, ऐसे में आज के युवा पीढ़ी को किया मालुम कि हल्दी में कोन सा औषधी गुण पाया जाता है नीम के दातुन करने से शरीर को किया लाभ मिलता है। गाय के दुध से शरीर को किया लाभ मिलता है। लहसुन में किस प्रकार का औषधी गुण पाया जाता है। आज जररूत है युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति अपनी धरोहर कि रक्षा करने हेतु जागरूक करने के दिशा में उचित प्रयास करने का। समय रहते समाज अपनी संस्कृति के प्रति सचेत नहीं होती है, तो आनेवाले दिनों में पुरे समाज को गंम्भीर परिणाम भुगतान हो जिसके जिम्मेदार हम और आप सभी व्यक्ति होगों।