पटना: जेडीयू और राजद के बीच बिहार में जारी गठबंधन के लिए आगामी 72 घंटे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इन 72 घंटे में ही बिहार सरकार का भविष्य तय होने वाला है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते हैं कि तेजस्वी यादव शनिवार शाम तक सार्वजनिक रूप से इस्तीफा दे दें. जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है तेजस्वी जितनी जल्दी हो सके, सीबीआई के आरोपों पर तथ्य के साथ प्रामाणिक जवाब दें.
इससे पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी चुप्पी तोड़ी और उन्होंने साफ किया कि वे सहयोगी लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव से क्या चाहते हैं. तेजस्वी यादव बिहार सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं. पार्टी नेताओं की बैठक के बाद जेडीयू पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने सीएम नीतीश कुमार की मंशा को सामने रखते हुए कहा था, “जो लोग भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, उन्हें जनता का सामना करना चाहिए और अपने आपको बेदाग साबित करना चाहिए. हमें भरोसा है कि वे ऐसा करेंगे.”
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा था, “हमने कई बार अपने मंत्रियों से इस्तीफे लिए हैं.” प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कई उदाहरण सामने रखे जब नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर अपने मंत्रियों के इस्तीफे लिए.
जदयू के अल्टीमेटम के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए राजद नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि मुझ पर एफआईआर राजनीतिक साजिश है. ये महागठबंधन को तोड़ने की कोशिश है. मुझे पिछड़ा होने की सजा दी जा रही है. सवालिया लहजे में पूछा कि क्या 13-14 साल की उम्र में घोटाला करूंगा? उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर नहीं झुकेगी और जरूरत पड़ने पर जनता के बीच जाएंगे.
कल जदयू के प्रेस कांफ्रेंस के बाद राजद प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा था कि तेजस्वी के इस्तीफा का कहीं कोई प्रश्न ही नहीं उठता. नीतीश कुमार की सख्ती के बाद अब लालू टीम नया दांव चलने की तैयारी में है.
सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी मामले में पहले से आरोपों का सामना कर रहे लालू यादव मामले को और ज्यादा लंबा न खींचते हुए तेजस्वी यादव समेत 12 अन्य मंत्रियों से भी इस्तीफे के लिए कह सकते हैं. यानी लालू यादव बिना शर्त समर्थन सरकार को बाहर से समर्थन देंगे. इस तरह से लालू बीजेपी को नीतीश के करीब नहीं आने देंगे और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा बचाने का भी प्रयास करेंगे.