जेएनएन, मोहाली। फेज-11 में दंगा पीडि़तों के मकानों को सील करने आई गमाडा टीम की गलती के कारण एक डेढ़ साल के बच्चे की जान पर बन आई। बच्चा घर के अंदर सो रहा था। बच्चे की मां गुरप्रीत कौर दवा लेने के लिए गई थी। इतने में पीछे से गमाडा की टीम पहुंची और मकान को सील कर चली गई। वापस आकर मां ने ताला देखा तो जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया। आसपास के लोग एकत्रित हो गए। मौके पर पुलिस को बुलाया गया।
पुलिस ने लगभग एक घंटे बाद ताला तोड़कर बच्चे को बाहर निकाला। गमाडा कर्मचारी ताला लगाने के बाद मुल्लांपुर में अगली कार्रवाई के लिए निकल गए। इस दौरान फेज-11 के दंगा पीडि़तों ने कहा कि अगर बच्चे की जान चली जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता? लोगों ने गमाडा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
हाईकोर्ट ने दे रखे हैं कार्रवाई के निर्देश
ध्यान रहे कि गमाडा को हाईकोर्ट की ओर से उन सभी मकानों को खाली करवाने के निर्देश दिए गए हैं जिनमें लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं। ऐसे करीब 45 मकान हैं। गमाडा की ओर से इन मकानों को खाली करवाने के लिए दो बार कोशिश की जा चुकी है। लेकिन गमाडा कर्मचारी व अधिकारी सफल नहीं हुए। इस पर हाईकोर्ट से फटकार भी लगी थी। अब गमाडा ने इन मकानों को सील करने की प्रक्रिया शुरू की है जोकि अभी तक सिरे नहीं चढ़ी है।
गमाडा कर्मियों से थाने में होगी पूछताछ
थाना प्रभारी अमनप्रीत ने बताया कि पुलिस को बच्चा मकान में बंंद होने की कॉल आई थी। गमाडा कर्मचारी जो सील लगाकर गए थे, उन्हें फोन किया गया। इस पर गमाडा कर्मचारियों ने बताया कि वे तो सील लगाकर मुल्लांपुर अगली कार्रवाई के लिए चले गए हैं। इसके बाद ताले तोड़ बच्चे को उसके परिजनों के हवाले किया गया। परिजनों से शिकायत ले ली गई है। गमाडा कर्मचारियों को थाने बुलाया गया है।