मल्टीटास्किंग होता है एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजिनियर

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एविएशन का नाम आते ही आसमान में उड़ने का मन करता है और अगर बात इसमें करियर बनाने की हो तो बात ही कुछ और है। प्रत्येक विमान के नियमित रख-रखाव एवं उड़ान के लिए कई एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स एवं तकनीशियन का होना अनिवार्य होता है। कोई विमान तब तक उड़ान नहीं भर सकता, जब तक कि एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर द्वारा उस विमान को उड़ान योग्य प्रमाण-पत्र नहीं दे दिया जाता। एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर हेतु एविएशन इंडस्ट्री में रोजगार के अवसर उपलब्ध संपदा से कहीं अधिक है।

भारत में तेजी से विकास कर रही एविएशन इंडस्ट्री विस्तार के नए अवसर खोल रही है साथ ही नए रोजगार के अवसर भी ला रही है। एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग में करियर युवाओं के दिलचस्पी को देखते हुए तैयार किया गया है। एविएशन के तेजी से बदलते क्षेत्र ने इसमे प्रवेश करने के लिए नई एविएशन कंपनियों के दायरे का काफी विस्तार किया है। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को इस संबंध में दिए गए एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2035 तक एविएशन इंडस्ट्री को 72,900 तकनीशियन और एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स की आवश्यकता होगी।

स्कूल फॉर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग (सेम) के चीफ इंस्ट्रक्टर राजेन्द्र खाशबा माने के मुताबिक ट्रेनिंग के दौरान,  एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स को विमान की सर्विस और रखरखाव पर शिक्षा दी जाती है ताकि एयरक्राफ्ट की उड़ान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। देश में कई ऐसे संस्थान है जो डीजीसीए से एप्रूव्ड  हैं और एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग में तीन वर्ष का लाइसेंस ट्रेनिंग कोर्स मुहैया करा रही है।

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग के ट्रेनिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 45 प्रतिशत मार्क्स के साथ उत्तीर्ण होना जरुरी है या इंजीनियरिंग की किसी भी ब्रांच से तीन वर्ष का डिप्लोमा या फिर फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से बी.एससी पास कैंडिडेट इस ट्रेनिंग कोर्स में एडमिशन लेकर अपने करियर को ऊंची उड़ान दे सकता है।

कोर्स के दौरान होने वाली पढाई और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की बात करें तो एएमई ट्रेनिंग के पहले वर्ष में एयरक्राफ्ट के रूल्स एंड रेगुलेशन्स के बारे में जानकारी दी जाती है। दूसरे वर्ष में छात्रों को जनरल इंजीनियरिंग और मेंटेनेंस प्रैक्टिसेज सिखाई जाती हैं। कोर्स के दौरान सब्जेक्ट्स में एरोडायनामिक्स और थ्योरी ऑफ़ फ्लाइट, मेटालरजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, एनडीटी और मशीन रूम्स और एयरक्राफ्ट इंजन्स में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी कराई जाती है। ट्रेनिंग के तीसरे वर्ष में हलके एयरक्राफ्ट्स, भारी एयरक्राफ्ट्स, पिस्टन इंजन, जेट इंजन और हेलीकाप्टर्स पर प्रैक्टिकल का ज्यादा ध्यान दिया जाता है। स्कूल फॉर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग (सेम) के चीफ इंस्ट्रक्टर राजेन्द्र खाशबा माने ने बताया कि कोर्स और पूर्ण रूप से ट्रेनिंग होने के बाद, डीजीसीए द्वारा एक परीक्षा आयोजित की जाती है और जो लोग इस परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं उन छात्रों को एक बेसिक एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस ट्रेनिंग लाइसेंस मिलता है। छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस लाइसेंसिंग परीक्षाओं में भाग लेने के लिए तीन साल की ट्रेनिंग पर्याप्त होती है। जिसके बाद वह एयरक्राफ्ट का निरीक्षण करने और एयरक्राफ्ट की फिटनेस का प्रमाद देने के लिए अधिकृत हो जाते हैं।

रोजगार के अवसर

जो लोग ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक पूरा करते हैं और डीजीसीए के लाइसेंस को प्राप्त करते हैं, उन्हें एयरपोर्ट्स, एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग और एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस फर्म्स में एक आकर्षक वेतन के साथ नौकरी मिल सकती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अधिक से अधिक एयरलाइंस निजी क्षेत्र में परिचालन शुरू कर चुके हैं, जिसमे एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरों और मैकेनिक्स के लिए मांग में काफी वृद्धि हो रही है।