बेटे जयंत के बर्थडे पर यशवंत सिन्हा ने तोड़ा BJP से नाता, दलगत राजनीति से लिया संन्यास
बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया है. यशवंत सिन्हा काफी लंबे समय से केंद की मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल बजाए हुए थे. यशवंत सिन्हा मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करने को कोई मौका नहीं छोड़ रहे थे. उन्होंने कहा कि मैं चुनावी राजनीति से भी संन्यास ले रहा हूं. उन्होंने कहा कि बीजेपी से सारे रिश्ते तोड़ रहा हूं. सिन्हा ने ये घोषणा अपने शहर पटना में राष्ट्र मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में की. यशवंत सिन्हा ने बेटे के जन्मदिन वाले दिन पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है.
सिन्हा ने इस कार्यक्रम की शुरुआत में कहा कि लम्बे समय से बीजेपी के साथ अपने सम्बंध को संबंध विच्छेद कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि चार साल पहले उन्होंने चुनावी राजनीति से संन्यास लिया था और अब रखता राजनीति से संन्यास ले रहे हैं. सिन्हा ने कहा कि वो कोई पार्टी में शामिल नहीं हो रहे और ना भविष्य में किसी पद के दावेदार हैं. सिन्हा ने साफ किया कि देश में लोकशाही को बचाने के लिए एक ज़बरदस्त आंदोलन चलाएंगे, जिससे साफ़ हैं कि उनका पूरा समय अब बीजेपी विरोधी दलों को एकजुट करने में लगेगा. सिन्हा ने चुनावी राजनीति से पिछले लोकसभा चुनाव में संन्यास किया था, जिसके बाद उनके बेटे जयंत सिन्हा को हज़ारीबाग़ से उम्मीदवार बनाया गया था और वो जीते थ. फ़िलहाल जयंत सिन्हा केंद्रीय मंत्रिमंडल में उड्डयन राज्य मंत्री हैं.
सिन्हा भाजपा में 10 के दशक में शामिल हुए और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहने के बावजूद 95 का बिहार विधानसभा चुनाव रांची से लड़े और जीते फिर उन्हें विपक्ष का नेता बनाया गया. लेकिन इसके बाद हवाला कांड में नाम आने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. इसके बाद में उन्हें बिहार इकाई का अध्यक्ष बनाया गया और 1996 के लोकसभा चुनाव में हज़ारीबाग़ से सांसद चुने गये. उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वित मंत्री बनाया गया. फिर 1999 का लोकसभा चुनाव जीते और केंद्र में वित और विदेश मंत्री बने रहे.