अनफिट गाड़ियों से प्रदूषित हो रही शहर की हवा

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पुराने व अनफिट गाड़ियों से हवा प्रदूषित हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि जिले में कुल दस लाख गाड़ी हैं। इससे में ढाई लाख गाड़ी 15 साल पुरानी व अनफिट है। अनफिट वाहनों के उपयोग से मुजफ्फरपुर में पर्यावरण प्रदूषण की समस्याएं बढ़ी है। जानकार बताते हैं कि फिट गाड़ी के तुलना में अनफिट गाड़ी पांच से दस गुना अधिक धुंआ फैलाती हैं।

परिवहन विभाग की ओर से गाड़ियों जांच के नाम पर कोरम पूरा किए जाने से धड़ल्ले से अनफिट गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही हैं। विभाग की जांच सीट बेल्ट व हेलमेट तक सीमित है। प्रदूषण के बिंदु पर गाड़ियों जांच नहीं की जाती है। इससे बिना की डर के लोग अनफिट गाड़ियों को चला रहे हैं। वहीं, नहीं दिल्ली व अन्य बड़े शहरों में प्रतिबंधित 15 साल पुरानी गाड़ियों का उपयोग जिले में हो रहा है। सस्ते कीमत पर महानगरों से पुरानी गाड़ियों खरीद कर लोग यहां के वातारण को दूषित कर रहे हैं।

प्रदूषण जांच का धंधा फिर हुआ मंदा

एक सितंबर से लागू संसोधित एमवी एक्ट के बाद प्रदूषण जांच केंद्रों पर गाड़ियों की भीड़ बढ़ी। प्रदूषण को लेकर दस हजार रुपये जुर्माना के प्रावधान के ऐलान के बाद सितंबर माह में प्रदूषण जांच केंद्रों पर भीड़ बढ़ी। लेकिन, अक्टूबर के बाद जांच केंद्र की पहले जैसी स्थिति हो गई। अब नाममात्र के लोग गाड़ियों की प्रदूषण की जांच करा रहे हैं। विभाग के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र से महज सवा तीन प्रतिशत गाड़ी को सर्टिफिकेट मिला है।

ई-रिक्शा तक सिमटी इलेक्ट्रिक गाड़ियां

सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलने के बावजूद बैट्री से चलने वाली ई-गाड़ी का प्रचलन नहीं बढ़ सका है। केवल ई- रिक्शा तक ही बैट्री से चलने वाली गाड़ियां सिमित हैं। जिले में बैट्री से चलने वाली बाइक, कार व बसों का नामोनिशान तक नहीं है। डीजल व पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों की संख्या में लगातार इजाफा होने से शहर गैस चैम्बर में तब्दील होने के स्थिति में है।