कोरोना के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे गरीब व दिहाड़ी मजदूरों का जेल प्रशासन सहारा बनेगा। सप्ताह दिन से बिहार के गरीब मजदूर परिवारों के घरों में ठीक से चूल्हे नहीं जल रहे हैं। सरकारी घोषणा के बाद भी प्रशासन द्वारा इनके लिए अनाज की व्यवस्था नहीं की गई है।
महाजन कर्ज देने के लिए तैयार नहीं हैं। गरीबों की हालात को देखते हुए जेल प्रशासन ने झोपड़ियों तक पका हुआ भोजन पहुंचाने की तैयारी की है। हिन्दुस्तान ने सबसे पहले दिहाड़ी मजदूरों की समस्या को 22 मार्च के अंक में छापा था। कारा प्रशासन ने इसके लिए सूबे के 59 जेलों को राशि उपलब्ध कराकर भोजन का पैकेट तैयार करने के बारे में जानकारी मांगी है। जेलों में कैदियों की क्षमता के अनुसार कितने पैकेट तैयार किए जाएंगे। इसकी रिपोर्ट कारा मुख्यालय ने बिहार के जेल अधीक्षक से गुरुवार तक मांगी है।
अधिकारी के मुताबिक 50 हजार भोजन का पैकेट हर दिन तैयार करने की योजना है। पुलिस के सहयोग से गांवों के दिहाड़ी मजदूर और गरीबों की झोपड़ियों तक भोजन पहुंचाने की तैयार की गई है। जानकारी के मुताबिक, भागलपुर के केन्द्रीय कारा, विशेष केन्द्रीय कारा और महिला कारा में बंद कैदियों द्वारा दो हजार पैकेट प्रति दिन तैयार करने का इंतजाम किया गया है। विभाग द्वारा इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई मदद नहीं ली गई है।