खुले में फेंका जा रहा आइसोलेशन वार्ड और क्वारंटीन सेंटर से निकल रहे कचरे को

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आइसोलेशन वार्ड का कचरा पटना में बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। खुले में फेंका जा रहा मेडिकल वेस्ट संक्रमण की बड़ी चेन तैयार कर सकता है। प्रशासन इसके निस्तारण को लेकर गंभीर नहीं है। हिन्दुस्तान स्मार्ट की पड़ताल में कई चौंकाने वाले सच सामने आए हैं। आइसोलेशन वार्ड और क्वारंटीन सेंटर पर कचरों को लेकर हो रही अनदेखी डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के साथ सुरक्षा में लगे जवानों को संक्रमित कर सकती है। सफाई कर्मियों से संक्रमण की कड़ी जुड़ी तो इसे तोड़ पाना मुश्किल होगा।

ऐसे निकलता है कचरा
आइसोलेशन वार्ड में दो तरह का कचरा निकलता है। एक मेडिकल वेस्ट के रूप में होता है और दूसरा जनरल वेस्ट। कोरोना के मरीजों के इलाज में अधिक दवाएं या डिप नहीं चलती है। इस कारण मेडिकल वेस्ट की मात्रा काफी कम होती है। इलाज के दौरान डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की उतारी गई पीपीई किट के साथ मरीजों से संबंधित कचरा अधिक होता है, लेकिन इससे कई गुना अधिक जनरल वेस्ट होता है। दो टाइम खाना और नाश्ता के साथ चाय व अन्य खाने-पीने के सामान से निकलने वाले कचरे का ढेर लग जाता है। क्वारंटीन सेंटर में भी ऐसा ही होता है। मेडिकल वेस्ट के नाम पर जांच के लिए नमूना लेने के बाद कॉटन रूई और सिरींज होती है।

ऐसे जानलेवा बन सकता है कचरा 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोविड 19 को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसमें संक्रमित मिरीजों के पास से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन को लेकर विशेष सावधानी का निर्देश दिया गया है। इसे इंसीनेटर में काफी सावधानी से नष्ट किया जाना है। कचरे को उठाने और इंसीनेटर तक ले जाने में सफाई कर्मियों को प्रोटेक्शन किट का इस्तेमाल करना है। आइसोलेशन वार्ड और क्वॉरेंटीन सेंटर पर कचरे को प्लास्टिक के बैग में अच्छे से पैक करने के बाद सफाई कर्मी को देना है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। 

ऐसे चल रही है व्यवस्था  
आईजीआईएमएस में इंसीनेटर लगाया गया और इसे चलाने के लिए संगम मेडिसर्व प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को काम दिया गया है। एजेंसी का कहना है कि सीपीसीबी की तरफ से जो गाइडलाइन है उसके मुताबिक मेडिकल वेस्ट कलेक्ट कर उसे सावधानी से नष्ट किया जाता है। उसे जनरल वेस्ट उठाने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया गया है। इस कारण से वह इसमें हाथ ही नहीं लगाती है। बताया जा रहा है कि इस कचरे को लेकर नगर निगम को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन इसे नष्ट करने के बजाए इधर-उधर फेंका जा रहा है। कचरा कलेक्ट करने में भी बड़ी मनमानी हो रही है।

अब तक कहां जा रहा था कचरा
आईजीआईएमएस में इंसीनेटर चलाने वाली एजेंसी को मेडिकल वेस्ट को नष्ट करने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन होटल पाटलिपुत्रा अशोका और होटल एवीआर में उसे काम करने का निर्देश 26 अप्रैल को दिया गया है। अब सवाल ये है कि इसके पहले यहां से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट कहां जाता था। होटल पाटलिपुत्रा अशोका में तो काफी दिनों से क्वारंटीन सेंटर चल रहा है और यहां हमेशा विदेशी लोगों को रखा गया है। संदिग्ध मरीजों की जांच के दौरान निकलने वाले मेडिकल वेस्ट पीपीई किट व गल्व्स के साथ कैप कहां नष्ट किया जाता था। 

केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है। हम केवल मेडिकल वेस्ट सावधानी से उठवाते हैं और उसे इंसीनेटर में 1125 डिग्री सेंटीग्रेट पर इंसीनेटर में नष्ट किया जाता है। जनरल वेस्ट को नष्ट करने का हमे कोई निर्देश नहीं है और हम इसे उठाते भी नहीं हैं।