नई दिल्ली: कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की ओर से मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव राज्यसभा के सभापति वेकैंया नायडू को सौंप दिया है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि मुख्य न्यायाधीश ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और अब हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इस मामले को आगे ले जाएं. सिब्बल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद माना है कि न्यायपालिका की स्वयत्ता खतरे में है. सिब्बल ने कहा कि ऐसे हालात में क्या देश को कुछ नहीं करना चाहिए.
बड़ी बातें
- महाभियोग नोटिस पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किया था , लेकिन सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं , अब संख्या 64 रह गयी है। राज्यसभा में न्यूनतम संख्या 50 होनी चाहिए : गुलाम नबी आजाद
- हमने कदाचार के पांच आधार पर भारत के प्रधान न्यायाधीश को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव रखा है : गुलाम नबी आजाद
- नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा , सपा , बसपा और मुस्लिम लीग शामिल हैं
- प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग कार्यवाही के नोटिस पर सात राजनीतिक दलों के 60 से ज्यादा सांसदों ने हस्ताक्षर किए.
- 3 सदस्यों की समिति ने सीजेआई के ऊपर लगे आरोपों की जांच की है. हम चाहते थे कि यह दिन कभी न देखने मिले : कपिल सिब्बल
- हमने जो आरोप लगाए हैं मैं नहीं समझता कि ऐसे आरोपों को नजरंदाज किया जा सकता है : कपिल सिब्बल
- अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने संवैधानिक आदर्शों का उल्लंघन किया : कपिल सिब्बल
- प्रधान न्यायाधीश जिस तरह से कुछ मुकदमों का निपटारा कर रहे हैं और अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं , उसपर सवाल उठाये जा रहे हैं : कपिल सिब्बल
- आपको बता दें कि एक बार महाभियोग प्रस्ताव कर लिया जाएगा तो सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और कानूनविद की समिति गठित होगी. इसके बाद लगे आरोपों की जांच होगी. उसके बाद समिति इस बात की रिपोर्ट तैयार करेगी कि महाभियोग चलाए जाए या नहीं.
- अगर महाभियोग चलाए जाने का फैसला लिया जाता है तो रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में रखा जाएगा. इसके बाद वोट और महाभियोग को प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए दोनों सदनों में आधे से ज्यादा सांसदों का समर्थन चाहिए होगा