टी एम जियाउल हक़
राष्ट्रीय जनता दल के के राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी के असामयिक निधन से बिहार में खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए भाजपा से जदयू की खींचतान चल रही थी.भाजपा चाहती है यह सीट उसके खाते में जाये.गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद रविशंकर प्रसाद की छोड़ी गयी सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने कोटे से लोक जन शक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान को उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने जीत भी हासिल की थी. वहीं इस सीट पर जदयू अपने रास्ट्रीय महासचिव अफाक़ अहमद खान को अपना प्रत्याशी बनाने का मन बना चुकी थी
अफाक़ अहमद खान गया के रहने वाले हैं.शरद यादव के बेहद क़रीबी थे.मगर उन्होंने शरद यादव के साथ न जा कर नीतीश कुमार के साथ ही रहना पसंद किया.पूरी ज़िंदगी पार्टी के लिए समर्पित कर दी है.
अभी अभी ख़बर लिखने के दौरान दिल्ली से मिली सूचना के अनुसार राज्यसभा सीट पर जदयू की बात नहीं बन पायी.भाजपा के खाते में चली गयी सीट.
शुक्रवार को नामांकन की आखिरी तारीख है.इस सीट को जदयू ने भाजपा के लिए छोड़ दिया है.बताया जाता है कि एनडीए में कोई विवाद नहीं हो, इसे लेकर जदयू मैदान से हटने में भी भलाई समझा. पटना मे मुख्यमंत्री निवास मे ये चर्चा दिन भर चलती रही के इस बार किसी मुसलमान को राज्यसभा भेजा जाएगा परंतु सूत्र बताते हैं कि इसी बीच नीतीश कुमार ने आफ़ाक अहमद खान से बात की और राय भी मांगी थी.इस लिए उनका नाम जदयू के सियासी गलियारे में गश्त करने लगा था.
सतीश चंद दुबे 2014 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थे और विजयी रहे थे लेकिन जनता दल यूनाइटेड से गठबंधन होने के कारण उनका टिकट इस बार काट दिया गया था
एक समय ऐसी भी चर्चा काफी जोर पर थी कि सतीश चंद्र दुबे निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में आएंगे जिससे भाजपा खेमे में खलबली मच गई थी.लेकिन डैमेज कंट्रोल करते हुए अमित शाह की टीम ने स्पेशल चार्टेड प्लेन द्वारा पटना से उन्हें दिल्ली बुलाया और अमित शाह के साथ मीटिंग के बाद स्थिति सामान्य हुई थी.
सतीश चंद दुबे बिहार में भाजपा के लिए एक बड़ा ब्राह्मणवादी चेहरा हैं.
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी एक तीर से दो शिकार कर रही है .एक तरफ जहां नाखुश सवर्णों को खुश करने के लिए सतीश चंद्र दुबे को अपना प्रत्याशी बनाया है वहीं उत्तर प्रदेश से सुधांशु त्रिवेदी को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाकर इस बार के विधानसभा चुनाव में सवर्ण समुदाय को संतुष्ट करने की कोशिश की जा रही है.