JDU MLA के पति को 10 साल का सश्रम कारावास और 50 हजार जुर्माना, जानिए

494

पटना [राज्य ब्यूरो]। खगडिय़ा के जदयू विधायक पूनम देवी के पति एवं पूर्व विधायक रणवीर यादव को अपने चचेरे भाई की हत्या के मामले में थोड़ी सी राहत मिल गई। मुंगेर के अपर सत्र न्यायाधीश ने अपने चचेरे भाई की हत्या में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जबकि मंगलवार को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा को कम करते हुए करते हुए 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माने का फैसला  सुनाया।

न्यायाधीश केके मंडल एवं न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद की खण्डपीठ ने पूर्व विधायक रणवीर यादव की ओर से दायर आपराधिक अपील पर 12 जुलाई को सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे मंगलवार को 20 पृष्ठ में फैसला सुनाया गया। साथ ही साथ अदालत ने जुर्माने की राशि अदा नहीं किये जाने पर दो वर्ष की अतिरिक्त सजा का फैसला सुनाया।

मालूम हो कि मुंगेर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी चौधरी ने सत्रवाद संख्या 184/89 में सुनवाई करते हुए उपलब्ध साक्ष्य व गवाहों के बयान के आधार पर आरोपित पूर्व विधायक रणवीर यादव को भादंसं की धारा 302 के तहत दोषी करार देते हुए अभियुक्त उम्रकैद की सजा सुनायी थी। प्राथमिकी में बताया गया था कि 6 दिसंबर 1988 को रणवीर यादव अपने गांव खगडिय़ा जिले के चौथम में चचेरे भाई सुनील यादव को दो मंजिला घर की छत से फेंक दिया था। साथ ही राइफल से भी हमला किया था। बाद में इलाज के दौरान सुनील की मृत्यु हो गयी थी।

सुनील यादव ने घायल अवस्था में ही पुलिस के समक्ष अपना फर्द बयान दर्ज कराया था, जिसमें मात्र एक अभियुक्त रणवीर यादव पर गोली मारने का आरोप था। सुनील के बयान पर चौथम (मानसी) थाना पुलिस ने कांड संख्या 192/1988 दर्ज की थी। बाद में अनुसंधान के दौरान रणवीर के भाई कैलू यादव का भी नाम घटना को अंजाम देने में आया था। लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान ही कैलू यादव की मौत हो गयी थी।

लंबे समय के बाद आया फैसला
सुनील यादव हत्याकांड की सुनवाई पूरी होने में 27 साल लग गये। यह मामला खगडिय़ा से होते हुए सुनवाई के लिए मुंगेर न्यायालय पहुंची। लगभग 22 वर्षों तक मुंगेर न्यायालय के विभिन्न जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में मामलों की सुनवाई का दौर चलता रहा। लेकिन इस हाईप्राफाइल मामले में बार-बार अभियुक्त रणवीर यादव द्वारा जिला न्यायालय के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में मामले को ले जाने के कारण सुनवाई की गति में स्थिरता आ गई।

अप्रैल 2016 में जब मुंगेर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में सुनवाई का कार्य पूर्ण किया गया और निर्णय के स्टेज में आया तो पुन: आरोपित रणवीर यादव ने हाइकोर्ट में एक आवेदन डाल दिया  था। इस कारण जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय से यह मामला स्थानांतरित होकर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के न्यायालय में भेज दिया गया।

पूर्व विधायक रणवीर यादव मुंगेर जिले के बहुचर्चित तौफिर दियारा नरसंहार कांड का आरोपित रहा है। उस मामले में उसे न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह लगभग नौ वर्षों तक जेल में भी रहा। मामले में रणवीर यादव निम्न न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक दौड़ लगाते रहे। बाद में राच्य सरकार द्वारा सजा माफी के बाद वह जेल से निकला था।

करीब 27 वर्षों की लंबी सुनवाई के बाद निचली अदालत ने 24 दिसम्बर 2016 को रणवीर यादव को दोषी करार दिया। जबकि पिछले साल 24 दिसंबर को अदालत ने इस मामले में अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी।