Kathua Rape Case: बच्‍चों से हुए रेप के मामलों में ये कहता है हमारा कानून, जानिए POCSO से जुड़ी 5 बातें

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नई दिल्ली: कठुआ (Kathua Rape case) के रसना गांव में बच्‍ची के साथ रेप और हत्‍या की वारदात ने पूरे देश को झकझोर कर रख दि‍या है. हमें खुद के इंसान होने पर शर्म आ रही है. यकीन नहीं होता कि कोई 8 साल की नादान बच्‍ची के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर सकता है. इस मामले में 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है और कानूनी प्रक्रिया चल रही है. इस वारदात को लेकर हर किसी में गुस्‍सा है और सभी यही चाहते हैं कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले.

हमारे देश में बच्‍चों के साथ रेप, यौन शोषण और छेड़छाड़ कोई नई बात नहीं है. पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों को बेहतर ढंग से सुलझाने के लिए भारत में पॉक्सो (POCSO) एक्‍ट बनाया गया है. हालांकि यह एक्ट जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं है. फिर भी हम आपको पॉक्‍सो के बारे में कुछ तथ्‍य बता रहे हैं:

1. POCSO यानी कि ‘प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस‘ एक्ट. यह कानून साल 2012 में लागू हुआ. इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों और बच्चियों से रेप, यौन शोषण, बलात्‍कार और पॉर्नोग्राफी जैसे मामलों में सुरक्षा प्रदान की जाती है.

2. POCSO एक्ट की अनेक धाराओं में अलग-अलग अपराधों और सजा का प्रावधान है. इस अधिनियम की धारा 4 में बच्चे के साथ दुष्कर्म अपराध के बारे में बताया गया. धारा 6 में दुष्कर्म के बाद गहरी चोटों के मामले में बताया गया और धारा 7 और 8 में बच्चों के गुप्तांग से छेड़छाड़ वाले मामलों के बारे में बताया गया है. इन सभी मामलों में आरोपी को सात साल या फिर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है.

3. इस एक्ट के तहत वो नाबालिक बच्चे भी आते हैं जिनकी 18 साल से पहले शादी कर दी जाती है. ऐसे में यदि कोई पति या पत्नी 18 साल से कम उम्र के जीवनसाथी के साथ बिना रजामंदी के यौन संबंध बनाता है तो यह भी POCSO अपराध की श्रेणी में आता है.

4. POCSO के तहत किसी अपराध से जुड़े सबूतों को जुर्म के 30 दिनों के अंदर स्पेशल कोर्ट को रिकॉर्ड कर लेने चाहिए. इसी के साथ अपराधों की सुनवाई, इसी स्पेशल कोर्ट में कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में की जानी चाहिए.

5. POCSO एक्ट में अगर अभियुक्त निर्दोष साबित हो जाता है तो इस अवस्था में वह झूठा आरोप लगाने, गलत जानकारी देने और छवि को खराब करने के लिए बच्चों के माता-पिता या अभिववाकों पर केस करने का हक रखता है.