सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित इलाके में आ रहे गांधी स्मारक को हटाने के लिए गुरुवार अल सुबह 4 बजे पहुंचे उन्होंने जेसीबी से खोदकर महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेव जी के अस्थि कलश बाहर निकाल लिए.
इस दौरान मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए और बिना कोई जानकारी के स्मारक हटाने को लेकर हंगामा किया.
गांधी स्मारक को लेकर प्रभावित और प्रशासन आमने-सामने
उन्होंने आरोप लगाया कि बिना पंचनामा बनाए अस्थि कलश ले जाए जा रहे थे. करीब 2 घंटे तक विरोध के बाद प्रशासन वहां से हट गया. लेकिन कुछ देर बार फिर प्रशासन का अमला मौकै पर पहुंचा और अस्थि कलश उठाकर राजघाट ले जाया गया.
स्मारक को लेकर बवाल गुजरत की सड़को
संतों व लोगों ने सवाल उठाया कि गांधी स्मारक को गाजे-बाजे व सम्मान के साथ न ले जाते हुए हिंसक तरीके से ले जाया गया. उनका आरोप है कि कलेक्टर ने गांधीगिरी को दादागिरी से खदेड़ा और पुलिस ने लोगों के साथ बर्बरता की नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री से झूमाझटकी कीगई. कार्यकार्ताओं को लाठियों से खदेड़ दियाग गया. दुकानों में रखे पूजा-पाठ के सामान को सड़क पर फेंक दिया गया
गांधीवाद का ज़ज्बा अब भी
गांधी स्मारक को उखाड़ने की सूचना मिलते ही इंदौर से स्मारक की नीव रखने वाले गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी के पुत्र अनिल त्रिवेदी राजघाट पहुंचे, त्रिवेदी ने कहा- स्मारक को उखाड़ना अपमानजनक है, यहां राष्ट्रपिता का अपमान किया गया है. सम्मान के साथ न ले जाते हुए चोरी करके ले जाया गया है
प्रशासन ने किया दावा
जिला प्रशासन ने बुधवार को दावा किया है कि राजघाट स्थित गांधी स्मारक के लिए दोबारा से किसी तरह का कोई निर्माण नहीं चल रहा है. वहीं कुकरा के प्रभावितों का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर चंद्रहास दुबे द्वारा व ग्राम सभा में गांधी समाधि के लिए तय किए गए भूखंड पर वर्तमान में निर्माण जारी है.
कहां है निर्धारित स्मारक स्थल
यदि प्रशासन इससे इंकार करता है, तो बसाहट में आए और बताए कि गांधी स्मारक के लिए कहां जगह छोड़ी गई है. प्रभावितों का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त दस्तावेज हैं जो बताते हैं कि गांधी स्मारक के लिए निर्धारित स्थल कहां है