अमिताभ कांत को तुरंत बर्ख़ास्त कर दिया जाए- शैबाल गुप्ता

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अमिताभ कांत को तुरंत बर्ख़ास्त कर दिया जाए- शैबाल गुप्ता

बिहार, यूपी और अन्य राज्यों के बारे में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के बयान को हमने अनदेखा कर दिया. हल्के में लिया. लेकिन इस तरह की संस्थाओं से जुड़े लोग काफी नाराज़ हैं. पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टिट्यूट के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने तो अमिताभ कांत को बर्ख़ास्त करने की मांग की है. उनका कहना है कि नीति आयोग के सीईओ की तरफ से आया इस तरह का बयान हैरान करने वाला है. अमिताभ कांत को इतिहास का कोई बोध नहीं है. उन्हें हिन्दी पट्टी के संत्रास यानी दुखों की भी कोई समझ नहीं है. बिहार और यूपी ने भारत के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में शानदार भागीदारी की थी.

शैबाल गुप्ता का मानना है कि जब राज्य में बाबू कुंवर सिंह की 160 वीं जयंती मनाई जा रही हो, तब इस तरह के बयान देना, बिहार का अपमान करना है. उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति में हिन्दी प्रदेशों के पूरे योगदान को ही नकार दिया है. शैबाल गुप्ता की संस्था बिहार सरकार को सहयोग भी करती है और राज्य की आर्थिक सामाजिक स्थितियों पर शोध भी करती है. फिर भी शैबाल गुप्ता ने अपनी बात दो टुक में कही है. ऐसा ही होना चाहिए.

राजद सांसद मनोज झा ने भी अमिताभ कांत के बयान पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. मनोज झा ने प्रधानमंत्री के ज़रिए अमिताभ कांत को याद दिलाना चाहा है कि भारत सहयोगी संघवाद पर आधारित है न कि प्रतिस्पर्धी संघवाद पर. मतलब यह हुआ कि आप राज्यों के बीच भेड़ों की तरह प्रतियोगिता नहीं करा सकते. हर राज्य को अलग-अलग कारणों से लाभ मिलता है. भौगोलिक कारणों को आप बदल नहीं सकते हैं.

मनोज झा ने 1950 के दशक में Paul H Appleby की रिपोर्ट का ज़िक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार, भारत का दूसरा सबसे बेहतर प्रशासित राज्य है. 1969 में D R GADGIL योजना आयोग के उपाध्यक्ष की हैसियत से बिहार जैसे राज्यों को अतिरिक्त मदद और समर्थन की ज़रूरत है. सांसद मनोज झा ने काफी रिसर्च के साथ यह पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री को पढ़कर अच्छा लगेगा.

अमिताभ कांत जेब में रूमाल रखते हैं. ग़रीब देश में ये सब स्टाइल में चल जाता है. उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि वे अपनी जेब में रूमाल की तरह यूपी और बिहार को भी रख सकते हैं. ये स्टाइल के लिए भी नहीं चलेगा.