अल्पसंखयकों के अधिकार और बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर

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भीम राव अम्बेडकर के जन्मदिवस के अवसर पैर एक एक बार  फिर से उनकी महानता, बड़पन और उनकी कार्यकारणी के समछ मे  बड़े बड़े कार्यक्रम और सेमिनार  आयोजित किये जा रहे हैं !  पिछले कुछ सालों से इस तरह के सरकारी कार्यक्रमों की संख्या अधिक बढ़ गयी है ! क्यूंकि देश के राजनेताओं और सत्ता  पक्ष के लोगों  में  अपने आपको अम्बेडकर का सच्चा भक्त कहलाने की होर लगी है ! लम्बे समय तक देश की   मुख्य राजनितिक पार्टियों ने अम्बेडकर को न केवल नज़र अंदाज किया बल्कि उनके विचारों को भी दबाने की कोशिश की ! यह दूसरी बात है की देश के अधिकतर राजनेता और हाक़िम अपने  आपको अंबेडकरवादी  कहते तो है मगर जब बात उनके सिद्धांतो को अपनाने और उस पर चलने की होती है तो उनके अंदर का ब्राह्मणवाद साफ़ दिखाई देता है ! आंबेडकर ने तो अपना कलम और अपने  मन को लगभग हर उन समस्याओं  के और दौड़ाया जिन से दलित आदिवासी   पिछड़े  और अल्पसंख्यक समुदाय  जूझ रहे थे और उन्होंने उनके समाजिक, राजनितिक, आर्थिक और धार्मिक समस्याओं को एक हद तक समझने और उनका निदान करने की कोशिश किया ! मगर मेरी नज़रों  में  बाबा साहेब का बड़ा मिशन अल्पसंख्यको के अधिकार थे और उनका सबसे मुख्य उदेश्य अल्पसंख्यकों को सरकार मे बराबर की हिसेदारी और साझेदारी थी ! बाबा साहब यह बात अच्छी तरह जानते थे कि अल्पसंख्यक सामाज की रहनुमाई केवल और केवल अल्पसंख्यक समुदाय के लोग   ही कर सकते है ! इसलिए संविधान ने  दलित , अदिवासी , पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यक समाजों  के हालत को सामने रखते हुए उनके लिए विशेषाधिकार की पैरवी की ! उनका मानना था की  एक समुदाय या फिर एक समाजी गिरोह के सत्ता मे  आने के बाद अक्सर वह अपने ही समुदाय के हितों का ख्याल रखता है और दूसरे समुदाय के अधिकारों या हितों की बात उनकी नज़रों मे कोई मूल्य नहीं रखता ! मुसलमानों के साथ दलित और आदिवासी की हालत भी संतुष्टि जनक नही है उन्हें भी अक्सर आरक्षित सीटों से ही टिकट दिया जाता है जो कि उन राजनीतिक पार्टियों की संवैधानिक मजबूरी है अगर ये राजनीतिक पार्टियां सच मे बाबा साहब के विचारों के प्रति गंभीर होती तो उनकी नेतृत्त्व केवल आरक्षित सीटों तक हि सिमित नही रहती यही वजह है कि बाबा साहब ने संविधान बनाने में अपनी पूरी ताकत और बुद्धिमता अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा में झोंक दिया और संविधान के अंदर दलित आदिवासी और पिछड़ा वर्ग और अलोसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत से कानून बनाये जिनमे से 1 आरक्षण भी है आज जब पिछड़ा वर्ग मुख्यतः मुस्लिम समुदाय की नैतृत्व शिक्षा रोजगार सरकार गठन समेत और छेत्रों में भी दिन प्रतिदिन गिरते जा रहे हैं तो इस कमी को बिना पूरा किये बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर को कैसे सच्ची श्रदांजलि अर्पित किया जा सकता है

लेखक
मो०उबैदुल्लाह
समाजसेवी एवं बिहार मुस्लिम युवा मोर्चा के राष्ट्रीय संरक्षक हैं