इलाहाबाद में रेलवे भर्ती रैकेट का पर्दाफाश, चार गिरफ्तार

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इलाहाबाद (जेएनएन)। रेलवे में भर्ती कराने के नाम पर युवाओं को ठगने वाले गैंग का जीआरपी ने पर्दाफाश किया है। ठगे गए चार लोगों की शिकायत के बाद जीआरपी ने कोच अटेंडेंट के सुपरवाइजर सहित चार लोगों को पकड़ा है। ये ठग रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर आवेदकों को कोच अटेंडेंट के पद पर ठेकेदार के अधीन रखवाते थे। जीआरपी ने गिरफ्तार लोगों से दस्तावेज भी जब्त किए हैं। चारों को जेल भेज दिया गया है।

पिछले कुछ वर्षों से रेलवे ने ट्रेनों के एसी कोच में कोच अटेंडेंट की तैनाती का काम ठेके पर दे दिया है। इलाहाबाद में कोच अटेंडेंट मैन पावर सप्लाई का ठेका धरन इंटरप्राइजेज और पीयूष ट्रेडर्स को है। यहीं से भर्ती के नाम पर ठगी होने लगी। कुछ दलाल यह कहकर युवाओं से हजारों रुपये ठगने लगे कि कुछ महीने कोच अटेंडेंट के रूप में कैजुअल काम कराने के बाद रेलवे में पक्की नौकरी मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता था। जब तक उसको सच्चाई का पता चलता, वह फंस चुके होते हैं।

पिछले हफ्ते चार युवाओं ने जीआरपी में शिकायत दर्ज कराई कि नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे 15 से 20 हजार रुपये ठगे गए। जीआरपी इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह ने जांच में आरोप सही पाए जाने पर अभियान चलाकर चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें प्रवीण कुमार निवासी दामोदर नगर थाना बर्रा कानपुर, आशीष वर्मा निवासी विश्व बैंक कालोनी थाना बर्रा कानपुर, श्रीनारायण द्विवेदी, काकादेव कानपुर व ठेकेदार के सुपरवाइजर अमित सोनकर  निवासी भुसौली टोला थाना खुल्दाबाद इलाहाबाद शामिल हैं। ठगी का यह खेल ठेकेदार के सुपरवाइजर के जरिए हो रहा था।

फर्जी प्रमाण पत्रों पर सौंप दी ट्रेन : कोच अटेंडेंट को ट्रेन के यात्रियों की जिम्मेदारी देने से पहले उसका सत्यापन होना चाहिए। जीआरपी इंस्पेक्टर ने बताया कि ठेकेदार के अटेंडेंट के पुलिस सत्यापन और मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र फर्जी हैं। इसके बावजूद रेलवे के अफसर उन्हें ट्रेन पर चलने की अनुमति दी। अनुमति पत्र पर एसएसई के हस्ताक्षर भी हैं।

नाम किसी का,ड्यूटी दूसरा कर रहा : जीआरपी की जांच में यह भी सामने आया कि रेलवे के रिकार्ड में जिसे कोच अटेंडेंट के रूप में भेजा गया, वह गया ही नहीं। उसकी जगह दूसरा व्यक्ति भेजा गया है, इसकी पुष्टि सुपरवाइजर का रजिस्टर कर रहा है।

कितना मिलता है कोच अटेंडेंट को : ठेके की शर्त के अनुसार एक कोच अटेंडेंट को एक बार जाने और आने के लिए एक हजार रुपये दिया जाता है। एक कर्मचारी को महीने में आठ से 10 बार ट्रेन में भेजा है।