लखनऊ [अमित मिश्र]। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जिन पर नए उपकरण खरीदने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने नई सरकार बनते ही सप्लायरों से सांठगांठ कर करीब 130 करोड़ रुपये के घटिया उपकरण खरीदने की तैयारी कर ली थी। जब तक इस ओर सरकार का ध्यान गया, तब तक करीब 27 करोड़ के ऐसे उपकरण लाकर मेडिकल कॉलेजों में लगा भी दिए गए। देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर शासन ने अब बाकी 100 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदने पर रोक लगा दी है। अब यह उपकरण नए सिरे से ई-टेंड के जरिए खरीदे जाएंगे।
गनीमत रही कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी कुछ सतर्क हुए और उन्होंने एक्स-रे मशीनों से लेकर सीटी स्कैन व माइक्रोस्कोप सहित अन्य उपकरणों की खरीद में भारी गड़बड़ी को पकड़ लिया। विभाग के उच्चाधिकारी बताते हैैं कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उपकरणों की खरीद के लिए वर्ष 2013-14, 2014-15 व 2016-17 में जारी रकमें पीएलए खाते में ठहर गई थीं, जबकि नए उपकरणों की खरीद भी बंद थी।
प्रदेश में नई सरकार का गठन होने के बाद इस रकम को ठिकाने लगाने के प्रयास शुरू हो गए। आनन-फानन में उपकरणों की सूची तैयार कर करीब 130 करोड़ रुपये की खरीद के आदेश जारी कर दिए गए। करीब 27 करोड़ रुपये की खरीद के 25 पर्चेस ऑर्डरों पर सप्लाई हो चुकी है, इसलिए उन पर तो कुछ नहीं किया जा सकता है लेकिन 100 करोड़ रुपये खरीद के वे 25 पर्चेस ऑर्डर निरस्त कर दिए गए हैैं।
ऐसे हुआ खेल
अधिकारियों ने सप्लायर कंपनियों से सांठगांठ कर जो सूची बनाई, उसमें उपकरणों की विशिष्टताएं (स्पेसीफिकेशन) ऐसी तय कर दीं, जिन पर संबंधित कंपनी के अलावा किसी और कंपनी का उपकरण फिट नहीं बैठ सकता था। हालांकि उन्हें निर्देश ऐसे उपकरणों की खरीद के थे, जो हैवी ड्यूटी हों और जिनके लिए कई कंपनियां प्रतियोगिता में हों लेकिन, उन्होंने किसी एक कंपनी के मुताबिक मानक तय कर दिए। नतीजा हुआ कि कोई और कंपनी प्रतियोगिता में शामिल नहीं हो पाई और अधिकारियों ने पहले से तय कंपनी के लिए पर्चेस ऑर्डर जारी कर दिए।
अब हर खरीद का होगा परीक्षण
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ई-टेंडङ्क्षरग से खरीद करने और मानकों के मुताबिक अनुबंध पत्र तैयार करने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने समिति गठित की है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 व 11 अगस्त को हुई घटना के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय जांच समिति की संस्तुति पर समिति का गठन किया गया है।
पीजीआइ के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.अमित अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित समिति में पांच सदस्यों के तौर पर लोहिया इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ.मुकुल मिश्रा, इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज के फार्मेसी विभाग के प्रोफेसर डॉ.श्रीष सिंह, पीजीआइ के वित्त नियंत्रक डॉ.एसडी मौर्या, केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अविनाश अग्रवाल और पीजीआइ के संयुक्त निदेशक मैटीरियल मैनेजमेंट आरएन श्रीवास्तव को शामिल किया गया है। खरीद के अनुबंधों पर 15 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी गई है।