गृह मंत्रालय ने ज्वाइंट सेक्रेटरी मितरा का सेवा विस्तार खत्म किया, पत्नी लड़ चुकी हैं लोकसभा चुनाव

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गृह मंत्रालय ने संयुक्त सचिव के पद पर तैनात डॉ. आर के मितरा को दिया गया सर्विस एक्सटेंशन वापस ले लिया है। हालांकि उनके एक्सटेंशन को खत्म होने में अभी डेढ़ साल का वक्त बाकी बचा था। फिलहाल वे मंत्रालय में पुलिस विभाग में एडवाइजर के पद पर तैनात थे। उन्हें सरकार ने सेवा विस्तार दिया था और वे मंत्रालय में पुलिस-II डिविजन में अर्ध सैन्य बलों का कामकाज देख रहे थे। सूत्रों के मुताबिक वे आईपीएस लॉबी को सपोर्ट कर रहे थे, जिससे सेंट्र्ल पुलिस ऑर्म्ड फोर्सेज काडर के अधिकाियों में उनके कामकाज के रवैये से भारी नाराजगी थी। इससे पहले 2017 में एक मामले में उन्होंने राष्ट्रपति/गृहमंत्री के मामूली दंड के आदेश को दरकिनार करते हुए फाइल को सीधे डीओपीटी भेज दिया था। वहीं इस साल तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान उनकी चुनाव आयोग में शिकायत भी की थी। उन पर आरोप लगाया गया था कि वे मालदा दक्षिण में केंद्रीय बलों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। मितरा की पत्नी श्रीरूपा मितरा चौधरी मालदा दक्षिण लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर 2019 में चुनाव भी लड़ी थीं, लेकिन चुनाव हार गई थीं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र बल) कैडर के अधिकारियों को ‘ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विसेज (ओजीएएस) का दर्जा देने का फैसला सुनाया था। जिसके तहत सीएपीएफ अधिकारी नॉन-फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन (एनएफएफयू) नॉन-फंक्शनल सेलेक्शन ग्रेड (एनएफएसजी) के लाभों के लिए योग्य हो गए थे। जिसके बाद 17 सितंबर को पुलिस-II डिविजन की तरफ से आदेश जारी किया गया कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत एनएफएसजी लागू करने के लिए अर्ध सैन्य बलों के डायरेक्टर जनरल के निर्देशन में एक इंटरनल कमेटी का गठन किया जाए।

सैन्य बलों के सेकेंड-इन-कमांड अधिकारियों को एनएफएसजी के तहत बढ़ा हुआ वेतन दिया जाता है, लेकिन कुल उपलब्ध वरिष्ठ पदों में से केवल 30 फीसदी को ही इसका लाभ मिल पाता है, जबकि एनएफएफयू सभी पर लागू है। सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ और आईटीबीपी में सभी वरिष्ठ पदों जैसे महानिदेशक पद पर आईपीएस अधिकारी ही तैनात होते हैं और अर्ध सैन्य बलों के कैडर अफसरों के साथ हमेशा से ही एनएफएफयू और एनएफएसजी को लेकर लड़ाई रही है। सीएपीएफ कैडर अफसरों में इस बात को लेकर भी नाराजगी रहती थी कि उच्च पदों पर उनकी अनदेखी करके भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को बिठाया जाता है। वहीं मितरा पर आरोप है कि वे अनुचित तरीके से इसमें आईपीएस एसोसिएशन का पक्ष ले रहे थे।