जामिया राजनीतिक अखाड़े में हुआ तब्दील

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देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया इन दिनों भष्टाचार एवं ओछी राजनीतिक और वर्चस्ववादी दंगल का केंद्र बनता जा रहा है। ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रो. तलत अहमद का कश्मीर यूनिवर्सिटी का कुलपति बनने के पश्चात्, जामिया के परीक्षा विभाग में किए गए ऑटोमेशन और डिजिटलाईजेसन के प्रयासों को फिर से पुराने ढर्रे पर ढकेलने की निरंतर कोशिशें की जा रहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रो. शाहिद अशरफ द्वारा जामिया मिल्लिया इसलामिया के कार्यवाहक कुलपति का पदभार ग्रहण करने के तीन दिनों के अंदर ही परीक्षा नियंत्रक से जबरन त्यागपत्र लेनी की कोशिश की गई, जिसके विरोध में परीक्षा नियंत्रक ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष अपना पक्ष रखना पड़ा। इसी दौरान 14 अगस्त को जामिया प्रशासन ने तय नियमों को ताक पर रखकर, परीक्षा नियंत्रक को तत्काल प्रभाव से उनके गृह विभाग में प्रत्यावर्तन का आदेश भी जारी कर गया। विश्वविद्यालय के उच्चतम नेतृत्व द्वारा किए गए इन मनमाने फैसलों को मंत्रालय ने न सिर्फ गलत बताकर अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई, बल्कि उसके हस्तक्षेप के चलते जामिया प्रशासन को 21 अगस्त तक अपना फैसला वापस भी लेने को मजबूर होना पड़ा। मंत्रालय की इस कार्यवाही से नखुश जामिया के चंद शिक्षक प्रतिनिधियों ने बुधवार को जनरल बॉडी मीटिंग बुलाकर जामिया के कार्यवाहक कुलपति, प्रो. शाहिद अशरफ पर दबाब बनाने हेतु एक प्रोफेसर इंचार्ज (परीक्षा) की गैर-कानूनन नियुक्ति कर दी, जो कि जामिया के आर्डिनेंस व एक्ट में इस पर कही भी कोई भी प्रावधान वर्णित नही है। साथ ही इन शिक्षक प्रतिनिधियों ने एक तीन दलिया कमिटी का भी गठन कर दिया, जो कि परीक्षा विभाग की कार्य-प्रणालियों पर एक विस्तृत रिपोर्ट कार्यवाहक कुलपति के समक्ष 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने के लक्ष्य पर कार्य करेगा। उल्लेखनीय है कि इस कमिटी में वे शिक्षक शामिल है जो कि बी.टेक और बी.आर्च की प्रवेश परीक्षा CBSE JEE Mains से लिंक्ड करने के घोर विरोधी रहे है। इस प्रकार की घटनायें जामिया जैसे प्रख्यात विश्वविद्यालय में होना एक दुखद घटना है जो कि आम जन के मन में इन आदेशों के चलते जामिया प्रशासन के प्रति गहरा असंतोष का वातावरण उत्पन्न करता है। अंदेशा यह भी है कि कहीं इन सभी घटनाक्रमों से फिर से जामिया में एडमिशन माफिया का वर्चस्व स्थापित न हो जाए। इन घटनाओं से जामिया में लिए गए परीक्षा सुधार के प्रयासों को धक्का लगा है, जो कि मौजूदा केंद्रीकृत परीक्षा व्यवस्था को फिर से विकेन्द्रित करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है। जामिया के NAAC में अर्जित A ग्रैड में परीक्षा सुधार कार्यक्रमों का विशेष योगदान रहा था।
प्रवेश परीक्षा के आवेदन ऑनलाइन होने से विगत 3-4 साल से अभियर्थियों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। देश के दुरस्त क्षेत्रो से विद्यार्थीगन जामिया के विभिन्न शैक्षणिक कोर्सेज में दाखिला ले रहे है। परीक्षा प्रक्रिया ऑनलाइन और डिजिटल होने से विद्यार्थी और अभिवावक के लिए जामिया से जुड़ना सुगम हो गया है। पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये परीक्षा विभाग ने इस वर्ष से omr और answer keys प्रवेश परीक्षा उपरांत ऑनलाइन करने की व्यवस्था किया है जो सराहनीय है। न सिर्फ सुगमता की दृष्टि से वल्कि आर्थिक नजरिये से भी प्रवेश परीक्षा के व्यय में हर साल करोड़ो रुपये की वचत जामिया विश्वविद्यालय को हो रही है। इन व्यवस्थाओं पर कुठाराघात करने से जामिया दशको पीछे चली जाएगी। जामिया में पूर्णरूपेण कुलपति पद के लिए आवेदन की प्रक्रिया की मानव संसाधन मंत्रालय एवं विकास मंत्रालय के दिशा निर्देश के तहत शुरू हो चुकी है और जल्द ही जामिया को एक नया कुलपति मिलने के उम्मीद है। इस स्थिति में कार्यवाहक कुलपति द्वारा इन दिनों में जल्दीबाजी में लिए गए फैसलो पर मंत्रालय की सूक्ष्म नजर रहेगी।