जीएसटी (GST) का आप पर असर : रोजमर्रा का यह सामान 5%, 12%, 28% टैक्स रेट के दायरे में…

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नई दिल्ली: जीएसटी के 1 जुलाई से देशभर में लागू करने को लेकर चल रही तमाम कवायदों के बीच वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत आने वाले सीबीईसी ने हाल ही में जीएसटी की रेट लिस्ट जारी की और आम आदमी को बताया कि उसके प्रतिदिन के काम काज और जरूरतों से जुड़ी किन चीजों को NIL स्लैब में रखा गया है और किन पर कितना फीसदी टैक्स लगाया गया है. वैसे बता दें कि गुरुवार को ही सरकार ने कहा है जीएसटी लागू होने के बाद खाद्यान्न, आटा, दूध, सब्जियां और फल सस्ते हो जाएंगे. साथ ही सरकार के मुताबिक, दूध, सब्जियां, फल, पके चावल, नमक, जैविक खाद, पशु चारे, जलावन, कच्चे रेशम, उन, हाथ से चालित औजार भी नयी परोक्ष कर व्यवस्था में शून्य दर लगेगी.

आइए सीबीईसी द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर पर आधारित कुछ फैक्ट्स आपके सामने रखें. गुरुवार को हमने आपको बताया थारोजमर्रा के इस्तेमाल की उन वस्तुओं और सेवाओं के बारे में, जो जीएसटी के तहत पूरी तरह से करमुक्त हैं. आइए आज जाने किस टैक्स स्लैब में कौन कौन सी वस्तुएं आएंगी.

जीएसटी के तहत 5 फीसदी टैक्स स्लैब के दायरे में होगा यह सामान- चीनी, चाय, भुने हुई कॉफी बीन्स, खाने योग्य तेल, स्किम्ड मिल्क पाउडर, बच्चों के लिए मिल्ड फूड, पैक्ड पनीर, सूती धागा, फैब्रिक, सरकंडे की झाड़ू, 500 रुपये तक की फुटवेयर, न्यूजप्रिंट, पीडीएस के तहत मिलने वाला केरोसिन, घरेलू एलपीजी, कोयला, सोलर फोटोफोलटैक सेल और मॉड्यूल, कॉटन फाइबर, कपड़े जोकि 1000 रुपये तक के हों.

जीएसटी के तहत 12 फीसदी टैक्स स्लैब के दायरे में होगा यह सामान- मक्खन, घी, मोबाइल, काजू, बादाम, सॉस, फलों का जूस, नारियल पानी, अगरबत्ती, छाता, कपड़े जोकि 1000 रुपये से अधिक हो.

जीएसटी के तहत 18 फीसदी टैक्स स्लैब के दायरे में होगा यह सामान- हेयल ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कैपिटल गुड्स, इंडस्ट्रियल इंटरमीडियरीज, पास्ता, कॉर्न फ्लैक्स, जैम, सूप, आइसक्रीम, टॉयलेट/फेशियल टिश्यूज, आयरन/स्टील, फाउंटेन  पेन, कंप्यूटर, मानवनिर्मित फाइबर, 500 रुपये से अधिक के फुटवेयर.

जीएसटी के तहत 28 फीसदी टैक्स स्लैब के दायरे में होगा यह सामान- उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, सीमेंट, चुइंग गम, कस्टर्ड पाउडर, परफ्यूम, शैंपू, मेकअप, पटाखे और मोटरसाइकल.

यहां बताते चलें कि सरकार का कहना है कि 81 फीसदी चीजें ऐसी हैं जो 18 फीसदी से कम के जीएसटी स्लैब में आती हैं. केवल 19 फीसदी सामान  ही इससे ऊपर के दायरे में आता है.