दिल्ली : जेलों में जिंदगी गुजारने को मजबूर 36 निरपराध बच्चे, जानें कारण

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तिहाड़ और मंडोली की महिला जेल में 36 नौनिहाल ऐसे हैं जो बिना किसी जुर्म के यहां जिंदगी गुजार रहे हैं। इन बच्चों की उम्र एक साल से लेकर छह साल के बीच है। ये नौनिहालों जेल में महज इसलिए रह रहे हैं क्योंकि इन सभी की मां किसी ना किसी जुर्म में यहां बंद हैं। ये बच्चे अपनी मां के बिना नहीं रह सकते, इसलिए अदालत ने इन्हें भी अपनी मां के साथ रहने की अनुमति दे रखी है।

तिहाड़ जेल की महिला जेल नंबर छह में 328 विचाराधीन महिला कैदी तथा यमुनापार स्थित मंडोली की महिला जेल नंबर 16 में 230 विचाराधीन महिला कैदी बंद हैं। ये विचाराधीन कैदी महिलाएं दहेज प्रताड़ना, शराब तस्करी, जाली नोट की तस्करी सहित अन्य आपराधिक मामलों में यहां बंद हैं। इनमें काफी महिलाएं जघन्य अपराध जैसे हत्या और डकैती के मामलों में भी बंद हैं।

तिहाड़ जेल के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, दोनों महिला जेलों में 558 महिलाएं बंद हैं। इन्हीं महिलाओं में 36 महिलाएं ऐसी हैं जिनके साथ उनके नौनिहाल भी बंद हैं। वर्तमान में तिहाड़ की जेल नंबर छह में 16 बच्चे तथा मंडोली की महिला जेल नंबर 16 में 20 बच्चे अपनी मां के साथ रह रहे हैं।

सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है

इन नौनिहालों की उम्र एक साल से छह साल के बीच होने की वजह से इन्हें सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक क्रेच में रखा जाता है। इनकी परवरिश के साथ-साथ पढ़ाई की जिम्मेदारी भी जेल प्रशासन निभा रहा है। इन नौनिहालों को घर का वातावरण मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही पढ़ाई के लिए नर्सरी स्कूल भी जेल में बना है। जब भी किसी बच्चे का जन्मदिन होता है, तो महिला जेल अधिकारी एकत्र होकर उसका जन्मदिन मनाती हैं। समय-समय पर बच्चों को पिकनिक के लिए भी चिड़ियाघर या डॉल म्यूजियम ले जाया जाता है।