दिल्ली दंगों में मारे गए दो बेटों के जनाजे में जाना बाबू खान के जीवन का सबसे कठिन सफर था

990

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर दिल्ली के मुस्तफाबाद में बाबू खान ने अपने जीवन की सबसे कष्टदायक यात्रा की. शनिवार को अपने दो जवान बेटों के शवों को उन्होंने कंधा दिया.

करीब शाम के 5 बजे थे जब दोनों भाइयों आमिर खान (30) और हाशिम अली (19) को कथित तौर पर नंगा कर मार डाला गया था. दिल्ली के दंगों के शिकार दोनो भाइयों का शव जीटीबी अस्पताल ने पोस्टमॉर्टम के बाद परिवार को सौंप दिया.

दिल्ली में मारे गए 48 लोगों में वे भी शामिल थे.

इस घटना से पूरी तरह से टूट चुके पिता बाबू खान, पहले तो शवों को मुस्तफाबाद अपने घर ले गए. जहां आमिर की दो बेटियां जिनकी उम्र चार और दो साल हैं, अपने पिता के लौटने का इंतज़ार कर रहीं थी.

शवों को पहले उनके घर पुराने मुस्तफाबाद ले जाया गया जहां हज़ारों लोग उनके परिवार को संवेदना व्यक्त करने पहुंचे. फिर शुरू हुआ वो सफर जिसे बाबू खान ने अपने जीवन का ‘सबसे कठिन सफर’ बताया- अपने कंधों पर अपने दो बेटों के शव को जनाज़े के लिए ले जाना.

Babu Khan watches on as people put bodies of both his sons, covered in a white cloth, inside the van | Photo: Praveen Jain | ThePrint
वैन से उतारे गए, कफन में लिपटे अपने दोनों बच्चों के शवों को देखते हुए बाबू खान | 

A relative of the two brothers shows Hashim’s photo on his mobile phone at their residence at GTB hospital | Photo: Praveen Jain | ThePrint
दंगे में मारे गए दो भाइयों में से हाशिम की मोबाइल पर तस्वीर दिखाता हुआ उनका एक रिश्तेदार | 

Babu Khan, taking dead bodies of both his sons back home. In his hand, he holds the papers declaring death of his sons | Photo: Praveen Jain | ThePrint
बाबू खान घर ले जाने के दौरान अपने बच्चों शवों के साथ, हाथ में मृत घोषित होने का पेपर लिए हुए |
As the bodies reach their residence, hundreds gather to take them out from the van. Bodies being escorted to their residence inside a narrow bylane | Photo: Praveen Jain | ThePrint
मुस्तफाबाद की एक सकरी गली में स्थित बाबू खान घर , बच्चों के शवों को वैन के अंदर से निकालने के लिए इकट्ठा सैकड़ों लोग |

Asgari, mother of Amir and Hashim, is inconsolable. Grief- stricken, their sisters—Nagma and Rehna, look at the photos of their brothers on their mobile phone, while they await their bodies | Photo: Praveen Jain | ThePrint
आमिर खान और हाशिम की मां असगरी गमगीन हैं. दुखी-पीड़ित बहनें नगमा और रेहाना शवों के इंतजार में, अपने भाइयों की तस्वीरों को मोबाइल फोन पर देखती हुईं| फोटो: प्रवीण जैन |

As the bodies reach their residence, hundreds gather to take them out from the van. Bodies being escorted to their residence inside a narrow bylane | Photo: Praveen Jain | ThePrint
शवों को दफनाने से पहले लोग इंतजार करते हुए |फोटो- प्रवीण जैन | 

People preparing for the Janaza. The bodies are wrapped in a sacred cloth, put in the coffin and then begins their last journey | Photo: Praveen Jain | ThePrint
लोग जनाजे (शव यात्रा) की तैयारी में

Both bodies are then put on a cot outside their home in Old Mustafabad, while thousands pour in to pay their condolences to the family | Photo: Praveen Jain | ThePrint
श्रद्धांजलि के लिए दोनों शवों को पुराने मुस्तफाबाद में उनके घर के बाहर खाट पर रखा गया और उन्हें दफनाने के लिए ले जाते हुए 

Hundreds join in as the Janaza passes through the area of Mustafabad, to take the bodies to the cemetery | Photo: Praveen Jain | ThePrint
मुस्तफाबाद में शवों को दफनाने के लिए जनाजे में शामिल सैकड़ों लोग 

After completing the journey of over a kilometer, many lend their hand to lay the bodies to rest inside the cemetery in Mustafabad | Photo: Praveen Jain | ThePrint
किलोमीटर भर की यात्रा के बाद शव को कब्र में दफनाने के लिए उतारते लोग | 

People help lay the bodies in the cemetery | Photo: Praveen Jain | ThePrint
लोग शवों को नीचे उतारने में मदद करते हुए |