दिल्ली मेट्रो ने अपने रास्ते में आ रहे दो घरों को हटाने के लिए अपनाया ये अनोखा तरीका

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दिल्ली मेट्रो के फेज तीन में लगातार हो रही देरी ने डीएमआरसी को अगल तरह से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। दरअसल मेट्रो लाइन के बीच में आने वाली दो इमारतों के चलते काम में हो रही देरी को देखते हुए दिल्ली मेट्रो ने एक अलग रास्ता निकाला है।  दिल्ली मेट्रो ने इन दोनों इमारतों के मालिकों से सीधे बात कर उनके टॉप फ्लोर्स को तोड़ने के एवज में 5.19 करोड़ का सौदा कर डाला। इस तरह दिल्ली मेट्रो ने पहली बार इजमेंट राइट का इस्तेमाल कर यह डील की है। दिल्ली मेट्रो के प्रवक्ता अनुज दयाल ने बताया कि, इसके तहत दिल्ली मेट्रो का इन इमारतों पर मालिकाना हक नहीं होगा। यानी इमारत के मालिक अपने तोड़े गए मकान को फिर से बना सकेंगे जब मेट्रो का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। बस इसके लिए उन्हें मेट्रो से इजाजत लेनी पड़ेगी।

इन इमारतों के दोबारा न‌िर्माण के ल‌िए लेनी होगी मेट्रो से इजाजत

हालांकि अब इन इमारतों पर जब भी दोबारा निर्माण किया जाएगा वो दिल्ली मेट्रो के नियमों के हिसाब से ही करना होगा। इसके साथ ही यह इमारत अपनी वर्तमान ऊंचाई तक कभी नहीं बन पाएगी।

इस डील के बारे में बताते हुए अनुज दयाल कहते हैं कि हसनपुर डील कई मायनों में अनोखी है। मेट्रो का प्लॉट ना होने के अलावा इसके लिए दी गई ऊंची फीस ही इसकी महत्ता बताता है जो मेट्रो लाइन 7(मजलिस पार्क से शिव विहार जाने वाली लाइन) है। बिना ‌इस कनेक्टिंग सेक्शन के आनंद विहार से विनोद नगर जाने वाले रास्ते को चालू ‌नहीं किया जा सकता।

हालांक‌ि  ऐसा पहली बार नहीं हुआ है फेज थ्री के रास्ते में आने वाले अलग-अलग जगहों पर स्थ‌ित इमारतों के साथ डील में अब तक द‌िल्ली मेट्रो 43 करोड़ खर्च क‌र चुकी है।