पत्थरबाजों से निबटने एक ट्रक पत्थर लेकर कश्मीर जाएगी संतों की सेना

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जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकवादियों से जूझ रहे सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों की सहायता के लिए अब संतों का एक जत्था रवाना होने की तैयारी कर रहा है. कानपुर के एक हिंदूवादी संगठन जन सेना के बैनर तले तकरीबन एक हजार संत 7 मई को इस मकसद से कश्मीर रवाना होंगे. खास बात ये है कि इन संतों के साथ पत्थरों से भरा ट्रक भी जाएगा ताकि पत्थरबाजों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जा सके.

जन सेना के संस्थापक बालयोगी चैतन्य महाराज ने पत्रकारों से कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो और भी संत भेजे जाएंगे. पुरी जाजमऊ स्थित मंदिर के मुख्य पुजारी हैं. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर बरसा रहे हैं, वे देशद्रोही हैं. ऐसे लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए शहर से पत्थरबाजों की सेना तैयार की गई है.

जन सेना के संस्थापक ने अपनी इस मुहिम को युद्ध विजय यज्ञ नाम दिया है. उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इजाजत मांगी थी कि कश्मीर में हमें पत्थरबाजों से दो-दो हाथ कर जवानों का हौसला बढ़ाने दिया जाए लेकिन वो हमें नहीं मिली. जिला प्रशासन ने भी इसकी इजाजत नहीं दी है लेकिन हम परिणामों की परवाह किए बगैर अपने रास्ते पर आगे बढ़ेंगे. अगर हमें रोका गया तो हम अपने-अपने स्तर पर वहां जाकर फिर से एकजुट हो जाएंगे.

संतों के जाने के लिए सौ कारें और 3 बसें बुक की गई हैं बाकी लोग ट्रेन से 14 मई को वहां पहुंचेंगे. उनके साथ पत्थरों से भरा ट्रक भी जाएगा. साथ ही वहां जाने वाले संतों को कानपुर में ही पत्थरबाजी की ट्रेनिंग दी जाएगी.