बिहार के नाराज कांग्रेसी विधायकों को राहुल की दो टूक – नहीं छोड़ेंगे लालू का साथ

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पटना: बिहार कांग्रेस में फूट की खबरों के बीच पिछले दो दिनों तक कांग्रेस पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विधायकों के साथ बैठक की. बैठक में विधायकों ने बिहार की वर्तमान राजनीतिक हालात के बारे में पहली बार खुलकर राय दी. माना जा रहा है कि राहुल ने इशारों-इशारों में संकेत दे दिया है कि उन्हें लालू का साथ पसंद है. अब बदलते हालात में बिहार कांग्रेस में कई फेरबदल होंगे.

बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम की जल्द घोषणा की जाएगी. राहुल गांधी ने विधायकों के साथ बैठक के दौरान कई बार कहा कि अशोक चौधरी उनके विश्वासपात्र रहे हैं लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि पार्टी के विधायकों को तोड़ने में उनकी भूमिका के बारे में उन्हें कोई दुविधा नहीं हैं.

इस बैठक से दूर रहकर अशोक चौधरी ने सीपी जोशी को पूरे विवाद के लिए ज़िम्मेदार ठहराया, उससे जोशी भी बिहार के प्रभारी रह पाएंगे, इस पर सवालिया निशान हैं. पूर्व में भी जब एक बार पार्टी अध्यक्ष अनिल शर्मा और तत्कालीन प्रभारी जगदीश टाइटलर के बीच विवाद हुआ था, तब दोनों को हटाया गया था. अधिकांश विधायकों के लालू के साथ जाने का विरोध करने पर भी अब राहुल गांधी को उनसे तालमेल करने में कोई आपत्ति नहीं . राहुल ने कभी भी लालू के साथ पिछले सात वर्षों में राजनीतिक मंच साझा नहीं किया.

राहुल का लालू विरोध इस आधार पर ख़त्म होता दिख रहा हैं क्योंकि उन्होंने कई विधायकों से उनके साथ जाने का नफ़ा नुक़सान पर खुलकर बात की. पहले पार्टी नेता और राहुल लालू के विषय पर बार करने से बचते थे. जिस लालू के मुद्दे पर राहुल ने अपनी ही सरकार का अध्यादेश फाड़ा था, वही राहुल भाजपा के ख़िलाफ़ संघर्ष में लालू यादव का साथ नहीं छोड़ना चाहते .ये बिहार के विधायकों को महसूस हुआ है.

राहुल गांधी हो या लालू यादव सबको मालूम है कि अगर उन्होंने एक बार साफ़ कर दिया कि अब सफ़र साथ-साथ करना हैं तब पार्टी के विधायकों को जनता दल यूनाइटेड जाने से रोकना मुश्किल होगा. हालांकि कांग्रेस के विधायक कैसे नीतीश के समर्थन में आएंगे, ये सब नीतीश और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तय करेंगे.

राहुल और बिहार कांग्रेस के राजद के साथ तालमेल के समर्थक विधायकों को इस सचाई का अंदाज़ा है कि राज्य में चुनाव में वर्तमान यादव-मुस्लिम वोट बैंक से नीतीश के नेतृत्व वाली गठबंधन का मुक़ाबला आसान नहीं होगा. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर स्टैंड लेकर जिस राहुल गांधी ने अपनी अलग छवि बनाई थी उन पर और राजनीतिक हमले होंगे.

पार्टी के नेता मानते हैं कि इस मुद्दे पर हस्तक्षेप कर राहुल ने अपनी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगाई है और अगर विधायक दल में टूट होगी तब उनके उपर ये कहकर ठीकरा फोड़ा जाएगा कि वो पार्टी के विधायकों को भी रोक पाने में विफल रहे. इस पूरे प्रकरण में कई कांग्रेस नेताओं का मानना है कि आख़िर कांग्रेस पार्टी के उठापटक में नीतीश को विधायकों का लाभ और लालू को गठबंधन का लाभ होगा.