बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री डॉ० जगन्नाथ मिश्रा की मृत्यु एक महान त्रासदी है, उनकी मृत्यु से एक युग की समाप्ति हो गयी इस अपूर्णछति की आपूर्ति कर पाना मुश्किल है। ऑल इंडिया तन्ज़ीम ए इंसाफ के उपाध्यक्ष वा सी पी आई नेता मौहम्मद मुस्लिम ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कहा कि डॉ। साहब अपनी उत्कृष्ट शैली के लिए न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में एक विशिष्ट पहचान थी और जनता के हर वर्ग में उनकी बहुत मजबूत पकड़ थी
। मोहम्मद मुस्लिम ने कहा कि डॉ जगनाथ मिश्रा साहब बहुत अच्छे इंसान थे और वे शिक्षा के प्रति बहुत संवेदनशील थे। उनका मानना था कि अगर मुसलमानों की समस्या दूर हो सकता है तो केवल और केवल शिक्षा के माध्यम से दूर हो सकता है। और उर्दू के अस्तित्व के लिए उनके संघर्ष को हमेशा याद किया जाएगा क्योंकि वह उर्दू से प्यार करते थे । उन्होंने बिहार में उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा के रूप में उर्दू लागू किया था। जिसके लिए उन्हें मजबूत विरोध का सामना भी करना पड़ा था । और यह उनके उर्दू और मुसलमानों के प्यार के कारण था कि लोगों ने उन्हें मौलवी जगन्नाथ मिश्रा का उपाधी दे दिया था । डॉ मिश्रा स्वयं उर्दू के जानकार थे।उनके ही प्रयासों से, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के प्रमाण पत्र को सामान्य डिग्री के बराबर माना गया। जिसका परिणाम है कि बिहार के आज सैकड़ों लाखों की संख्या में लोग सरकारी नौकरियों में बिहार सहित देश के विभिन्न हिस्सों में मदरसा बोर्ड की डिग्रीधरि लोग विभिन्न विभागों में सरकारी पदों पर कार्यरत हैं और लाखों उर्दूधरि लोगों के घरों का चूल्हा जल रहा है। अंत में मोहम्मद मुस्लिम ने कहा कि स्वर्गीय डॉ मिश्रा साहब हमारी यादों में हमेशा रहेंगे।