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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीसटी के सबसे मुखर समर्थक रहे हैं. यहां तक कि देश में डीजल और पेट्रोल के दामों में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी की भी उन्होंने आलोचना करने से इस आधार पर इनकार कर दिया कि अगर दाम ऊपर गए हैं तो नीचे भी आएंगे.
नीतीश के अपने राज्य में भी बृहस्पतिवार को दामों में बढ़ोतरी की गई. कारण बताया गया कि प्लांटों को चलाने के खर्च में आई बढ़ोतरी से डीजल के दाम बढ़े और जीसटी के कारण पैकेजिंग महंगी होने के कारण यह कदम उठाना पड़ रहा है.
राज्य में दूध के कारोबार को ‘सुधा’ नियंत्रित करती है. इसके नए आदेश के अनुसार दूध के दामों में एक रुपये 61 पैसे से तीन रुपये उनचालीस पैसे तक की बढ़ोतरी की गई है. निश्चित रूप से दूध के दाम बढ़ने का भार आम लोगों को उठाना पड़ेगा. लेकिन यह बढ़ोतरी हर तरह के दूध के दामों पर देखने को मिल रही है.
निश्चित रूप से राज्य सरकार का तर्क है कि कोई भी धंधा घाटे में नहीं किया जा सकता. अगर दूध के कंज्यूमर को ज्यादा राशि देनी पड़ेगी तो दूध उत्पादक को भी अब उनकी लागत पर ज्यादा राशि मिलेगी. लेकिन सवाल है कि आखिर राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम क्यों नहीं कम करती. नीतीश कुमार ने सोमवार को पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के अंतर्गत लेने का खुलकर विरोध किया था. केंद्र की दलील है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए तो इसके बढ़े हुए दामों पर अंकुश लगाया जा सकता है.