मुसलमान अपनी नेतृत्व मज़बूत करें

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अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण विधान सभा एवं लोकसभा में जा कर ही हो सकेगा दलितों की आवाज़ बुलंद करने के लिए मायावती एवं अन्य लोग हैं लेकिन अल्पसंख्यकों के लिए कोन हैं? इन बातों का इज़हार बिहार मुस्लिम युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो०उबैदुल्लाह ने किया।वो यहाँ जामिया नगर स्थित 1 सेमिनार में ”देश में अल्पसंख्यकों,दलितों एवं अन्य पिछड़े समुदाय का संरक्षण” के विषय से आयोजित सेमिनार में सभा को संबोधित कर रहे थे।उन्हों ने कहा कि हम अपने हालात पर रोना बंद करें और परिस्थिति का मर्दाना अंदाज़ में मुकाबला करें।मर्दाना अंदाज़ में मुकाबला का मतलब यह है कि अब इस परिस्थिति के लिए वैधानिक एवं मज़बूत स्वरूप तैयार क्या जाए।उन्हों ने कहा कि अगर हम अपने समुदाय की अजनीतिक समीक्षा करें तो हमारे अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए आवाज़ उठाने वाले कितने लोग हैं तो एक भी नही दिखता।उन्हों ने उदाहरण देते हुए कहा कि दलितों के मामले को लेकर मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया लेकिन क्या हमारे पास भी ऐसे लोग हैं जो अपने समुदाय के लिए इस प्रकार की बलिदान दे सकें।उन्हों ने सभा मे उपस्थित लोगों को झकझोरते हुए कहा कि दलितों के लिए बहुत से लोग देश के विभिन्न विधानसभाओ एवं लोकसभा में मौजूद हैं लेकिन हमारे पास कोन हैं।उन्हों ने कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण विधान सभा एवं लोकसभा से होगा और इसके लिए राजनीतिक सूझ बूझ पैदा करना होगा। उन्हों ने कहा कि RSS एवं VHP ने राजनीत की लगाम अपने हाथों में ले रखा है और हम अभी तक कोई अपना सयुंक्त राजनीतिक मंच भी नही बना सके हैं। हमें इस संबंध में विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।उन्हों ने कहा कि इस देश मे अल्पसंख्यक में अन्य धर्म के लोग भी हैं लेकिन निशाने पर देश की दूसरी सबसे बड़ी अल्पसंख्यक ही है। अंत में उन्हों ने कहा कि सर सैयद को हमने केवल समाज सुधारक के रूप में देखा है जो इतिहास का सबसे बड़ा धोखा है ।सर् सय्यद मुग़लिया शासन के खत्म होने के बाद सबसे बड़े राजनीतिज्ञ थे क्योंकि सर सैयद ने जब शिक्षा के क्षेत्र में कई काम करने के बाद मुस्लिम डिफेंस ऑर्गेनाशन बनाया था उसकी वजह यह थी कि उनकी दूरदर्शी निगाहें आने वाले वक्त की परिस्थितियों को न केवल समझ रही थी बल्कि देख भी रही थी।