नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के बीच बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में तीखी बहस हुई. यह बहस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के मामले में जेटली से जिरह के दौरान हुई. केजरीवाल और आप के अन्य नेताओं के खिलाफ दायर 10 करोड़ रुपये के दीवानी मानहानि के मुकदमे में जेटली का बयान दर्ज नहीं हो सका क्योंकि मंत्री ने मुख्यमंत्री का प्रतिनिधित्व कर रहे जाने-माने वकील द्वारा उनके खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्द पर आपत्ति जताई.
संयुक्त रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा के समक्ष उपस्थित वित्त मंत्री अपना आपा खो बैठे और जेठमलानी से पूछा कि क्या केजरीवाल से निर्देश लेकर उनके खिलाफ इस शब्द का इस्तेमाल किया गया. जेटली ने कहा, “अगर ऐसा है तो मैं प्रतिवादी (केजरीवाल) के खिलाफ आरोपों को बढ़ा दूंगा.” उन्होंने कहा कि निजी दुर्भावना की भी एक सीमा है.
जेटली का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर और संदीप सेठी ने भी कहा कि जेठमलानी अपमानजनक सवाल कर रहे हैं और उन्हें खुद को अप्रासंगिक सवाल पूछने से संयमित करना चाहिए क्योंकि “यह मामला अरूण जेटली बनाम अरविंद केजरीवाल है और यह राम जेठमलानी बनाम अरुण जेटली नहीं है.” इस पर जेठमलानी ने कहा कि उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल केजरीवाल के निर्देश पर किया है.
आप नेताओं का बचाव कर रहे जेठमलानी समेत वकीलों के एक समूह ने यह भी कहा कि जेटली अपने कथित मानहानि के लिए 10 करोड़ रुपये के दावे के हकदार नहीं हैं. जेटली ने केजरीवाल और पांच अन्य आप नेताओं राघव चड्ढा, कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक बाजपेयी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करके 10 करोड़ रपये के क्षतिपूर्ति की मांग की थी. इन नेताओं ने साल 2000 से 2013 तक डीडीसीए का अध्यक्ष रहने के दौरान जेटली पर वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप लगाया था.