रोस्‍टर मामला: शांति भूषण की याचिका पर SC ने अटॉनी जनरल से मांगी मदद

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर के तहत केसों के आवंटन पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका पर कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से केस में सहयोग मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सहयोग मांगा कि जजों की नियुक्ति की तरह क्या संवेदनशील केसों के आवंटन के मामले में सीजेआई का मतलब कॉलेजियम होना चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. प्रथम दृष्टया हमें ये लगता है कि इन हाउस प्रक्रिया को दुरुस्त कर इसका हल हो सकता है, न्यायिक तरीके से नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि केसों का आवटन कैसे हो, कौन करे. सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सैंकडों केस आते हैं ऐसे में कॉलेजियम के पांचों जज ये तय करेंगे तो न्यायिक कामकाज कैसे होगा. ये तरीका व्यवहारिक नहीं लगता है.

जजों का काम सिर्फ न्याय देना नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान की सुरक्षा और कानून के शासन को बरकरार रखना है. सुप्रीम कोर्ट ने चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस पर कुछ भी सुनने या बोलने से इंकार किया, कहा इस पर कोई बात नहीं करेंगे. कोर्ट ने कहा कि कौन सा केस संवेदनशील है या ये कौन तय करेगा. किसी के लिए कोई संवेदनशील हो सकता है किसी के लिए कोई और. वहीं याचिकाकर्ता की और से दुष्यंत दवे और कपिल सिब्बल ने कहा कि चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर हैं ये मानते हैं.

आमतौर पर याचिकाएं सीधे रजिस्ट्री द्वारा जजों के पास चली जाती हैं. सिर्फ संवेदनशील मामलों को ही रजिस्ट्री चीफ जस्टिस के पास बेंच के लिए पूछती है. हमने याचिका में 14 केस बताएं हैं जिनमें अस्थाना का केस भी शामिल है. इसलिए ऐसे संवेदनशील मामलों में केसों के आवंटन के लिए कॉलेजियम को तय करना चाहिए. किसी एक शख्स को संविधानिक तरीके से एकाधिकार नहीं दिया जा सकता है. ये देश की सबसे बडी अदालत है जिसे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करनी है.  चार वरिष्ठ जज इस मुद्दे को लेकर जनता में चले गए.

चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर  पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका पर सुनवाई हुई जस्टिस ए के सीकरी और अशोक भूषण की बेंच  ने सुनवाई की. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में केसों का आवंटन चीफ जस्टिस अकेले नहीं बल्कि कॉलेजियम में शामिल सभी पांच जज करें. इससे पहले इसी तरह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है.