एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि पूरे देश में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। पवार ने वीर सावरकर का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर गायों की उपयोगिता नहीं है तो उसका मांस खाने से कोई दोषी नहीं हो सकता है। पवार ने कहा कि आज फिर वैसी लड़ाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गो प्रेम पर उन्हें आपत्ति नहीं है। मगर मुझे उस विचारधारा के लोगों से जानना चाहता हूं जो कहते हैं देश में गो हत्या पर कानून होना चाहिए। वह वीर सावरकर की बात तो करते हैं मगर उनकी विचारों को नहीं मानते। सावरकर गो प्रेम की बात करते थे मगर वह यह भी कहते थे कि जब गो का उपयोग खत्म हो जाए और वह किसानों पर बोझ बन जाए तो उसको मारना गलत नहीं है।
दरअसल शरद पवार की किताब के लोकार्पण के बहाने मंगलवार को भाजपा विरोधी सभी दल एक मंच पर नजर आए। समारोह में न सिर्फ सभी दलों के नेताओं ने देश के वर्तमान माहौल को खतरनाक बताया, बल्कि कई दलों के नेताओं ने पवार से वर्तमान राजग सरकार के खिलाफ मुहिम का नेतृत्व करने की मांग की। जदयू महासचिव केसी त्यागी ने तो यहां तक कह दिया कि लोकतंत्र के अंदर अभिव्यक्ति की आजादी की लड़ाई चल रही है। ऐसे समय में पवार को इस महत्वपूर्ण लड़ाई के नेतृत्व रूपी विष का पान करना चाहिए।
इस दौरान पवार ने भी देश में अजीब तरह के माहौल का जिक्र करते हुए अल्पसंख्यक और शोषित समुदाय के असुरक्षा की भावना में जीने की बात कही और क्षेत्रीय दलों के एकजुट होने का आह्वान भी किया। हालिया पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद यह भाजपा विरोधी दलों का पहला बड़ा जमघट था। मौका था राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में पवार की आत्मकथा अपनी शर्तों पर किताब का लोकार्पण का।
लोकार्पण वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने किया। कुलदीप नैय्यर ने भी शरद पवार से देश के माहौल पर चिंता जताते हुए लड़ाई लड़ने के लिए आगे आने को कहा। समारोह में कांग्रेस, जदयू, सपा, माकपा, भाकपा के नेताओं ने शिरकत की। शरद पवार ने कहा कि देश में आखिरी अभिव्यक्ति की आजादी की लड़ाई इमरजेंसी के समय लड़ी गई। तब आज के जैसे बड़े राजनीतिक दल या संगठन नहीं था।