सौ जन्मों में भी नहीं होती लोभ की निवृति

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मेरठ: पर्यूषण पर्व पर दिगंबर जैन मंदिरों में भक्तों की चहल पहल है। सुबह और शाम के समय भक्त पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहा है। दस दिवसीय पर्व के चौथे दिन मंगलवार को उत्तम शौच धर्म का पालन किया गया। मंदिरों में सुबह के समय विधान हुए और शाम को तीर्थकरों के उपदेशों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

कचहरी स्थित असौड़ा हाउस में मंगलवार को सुबह के समय जलाभिषेक और शांतिधारा हुई। रचित जैन, संजय जैन, और

अमित जैन ने मंत्रोच्चार के बीच अनुष्ठान संपन्न कराया। पंडित ऋषभ शास्त्री ने कहा कि लोभ सब पापों की जड़ है। धर्म लोभ की नींव पर खड़ा होता है। लोभ की पूर्ति सौ जन्म में भी नहीं हो सकती है। शाम को मंदिर में तत्वार्थ सूत्र का वाचन हुआ। विद्योत्तमा विचार मंच की डा. पायल ने भी भाग लिया। आभा, सोनिया, सुभाष, राकेश जैन, रमेश, अनिल, विपुल, इशिता, सौम्या, शिल्पी आदि मौजूद रहे।

आनंदपुरी दिगंबर जैन मंदिर में भगवान शांति नाथ के विग्रह को पांडूक शिला पर विराजमान करा कर इंद्रो ने अभिषेक किया। प्रदीप जैन, शिखर चंद जैन, तरस चंद जैन ने विधान में भाग लिया। भगवान पुष्पदंत के मोक्ष कल्याणक पर लाड्डू चढ़ाया गया। 84 अ‌र्घ्य अर्पित किए गए। विधानाचार्य अभिषेक शास्त्री ने कहा कि लोभ की निवृति ही शौच है। उन्होंने कहा कि समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं मिलता है। शाम को णमोकार की महिमा पर आधारित नाटिका मंचन हुआ। वीर सेन जैन, सुनील जैन प्रवक्ता, अचल जैन, गौरव जैन, अभिषेक जैन, जिनेंद्र जैन, प्रमोद जैन आदि मौजूद रहे।

शास्त्रीनगर एफ ब्लाक स्थित दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण धर्म की जीवन में उपयोगिता विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। अनिल जैन, बुद्ध सेन जैन, राजेंद्र कुमार जैन, नरेंद्र जैन, शशि जैन, साधना जैन ने विचार व्यक्त किए।

सदर दुर्गाबाड़ी पाश्‌र्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आरंभ आचार्य विद्यासागर के चित्र के सम्मुख सुधा जैन ने दीप प्रज्वलित किया। भगवान को भेंट नाम से नाटिका का मंचन महिलाओं ने किया। इस अवसर पर महिलाओं ने डांडिया किया। मीनू कल्पना, मिथलेश, संगीता, सीमा, राशि, निधि, आंचल, शिखा, रश्मि, दिनेश, सौरभ आदि मौजूद रहे