स्टाफ ने कप्तान के सामने पेश होकर फर्जीवाड़े की पूरी कहानी बयां की तो मेडिकल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।
मेरठ (जागरण संवाददाता)। परम पारस ग्राम विकास कृषि शिक्षा फाउंडेशन इलाहाबाद की ओर से पांच जनपदों में शिक्षा के सेंटर खोलकर 71 लाख की ठगी की गई। अब सभी सेंटर बंद कर एनजीओ फरार है। स्टाफ ने कप्तान के सामने पेश होकर फर्जीवाड़े की पूरी कहानी बयां की तो मेडिकल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।
परम पारस ग्राम विकास कृषि शिक्षा फाउंडेशन इलाहाबाद के एनजीओ ने मेरठ, संभल, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और हापुड़ में शिक्षा के सेंटर खोले। चार हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गई। ब्लाक स्तर पर 150 सुपरवाइजर रखे गए। एनजीओ का उद्देश्य गांव में पांच साल से 14 साल तक के अनपढ़ बच्चों को शिक्षा देना था। प्रत्येक बच्चे से रजिस्ट्रेशन के नाम पर 51 रुपये की वसूली की गई। एनजीओ ने लाखों छात्रों का पंजीकरण कर 71 लाख रुपये जुटा लिए। दो माह तक सभी कर्मचारियों को उनका मानदेय करीब दस लाख रुपये दे दिया।
बाद में एनजीओ ने चुनाव आचार संहिता की बात कहकर सभी का मानदेय रोक दिया। इसके बाद भी सभी कर्मचारी गांव के केंद्रों पर बच्चों को पढ़ाते रहे। इसी बीच एनजीओ के लोग गायब हो गए। कर्मचारियों को मानदेय नहीं मिला तो इलाहाबाद हेड ऑफिस पहुंचे पर वह बंद मिला। एनजीओ के अध्यक्ष रेशमानाथ और सचिव प्रभु शंकर का मोबाइल भी बंद हो गया।
ऐसे में कर्मचारियों को चार माह का मानदेय नहीं मिला। एनजीओ ने सभी बच्चों की रजिस्ट्रेशन फीस तीन माह में वापस करने का वायदा भी किया था। मेरठ शहर के जागृति विहार केंद्र के शिक्षक गजेंद्र ने फर्जीवाड़े की जानकारी कप्तान को दी।