लोकप्रियता का विषय बनता जा रहा है धर्म की आलोचना करना

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किसी भी धर्म की आलोचना करना एक फैशन बनने लगा है क्योंकि अब लोकप्रियता के लिए कोई भी अपने आस्था से भी खेलने को तैयार है।
आपका विश्वास अगर धर्म के आस्था से उठ जाए तो आपके मन मे हर धर्म के लिए हजारों सवाल पैदा होंगे पर किसी ख़ास धर्म पर निशाना बना के सवाल करना सिर्फ वो आपके अंदर उपजे प्रशंसा के लिए दिलचस्पी है और कुछ नही क्योंकि आप जिस धर्म की आलोचना करते हैं सिर्फ वही धर्म वाले आपका विरोध करेंगे और बाकी धर्म के ज्यातर लोग आपकी प्रशंसा करने में लगे होंगे जिससे आपकी लोकप्रियता बढ़ने की उम्मीद होती है और आप भी इसलिए ही आलोचना करते हैं।

सोनू निगम ने जिस तरह से सोमवार को ट्वीट पर ट्वीट कर के कहा और वो ट्वीट सबके लिए आज का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है , हर कोई इसपर बात कर रहा है। नेता अपना बयान देने में लगे हैं न्यूज़ चैनल इसपर डिबेट करवा रही है और लोग सोशल साइट्स पर अपना अपना जलवा दिखा रहे हैं वहां हर कोई अभी पंडित और मौलाना बन कर अपनी अपनी दलीलें दे रहा है।

सोनू निगम का ट्वीट –
पहला – “ईश्वर का आशिर्वाद सब पर बना रहे. मैं मुस्लिम नहीं हूं और हर सुबह मेरी नींद अजान से खुलती है. भारत में धर्म को लेकर यह जबरदस्ती कब खत्म होगी?”

दूसरा – “और हां, मोहम्मद ने जब इस्लाम बनाया तब बिजली नहीं थी. तो फिर एडिसन के बाद मुझे यह शोर क्यों सुनना पड़ता है?”

तीसरा – “मुझे ऐसे मंदर या गुरुद्वारा पर भी विश्वास नहीं जो उनका धर्म नहीं मानने वालों को तेज आवाज से उठाते हैं. तो फिर क्यों?”

चौथा – “गुंडागर्दी है बस”

सोनू निगम अपने ट्वीट से विवादों में आ गए हैं। वो जानते होंगे कि धर्म का मुद्दा इतना संवेदनशील है की अगर उसकी आलोचना की तो मुख सुर्खियों में आ ही जाएंगे और अभी के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं क्योंकि अब सरकार भी जब सिर्फ धर्म के ही मुद्दे पर बात करती है तो गायक तो कुछ गायेगा ही।

लेखक : इमाम सालेहीन हारिष