ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का नाम क़र्बला

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टी एम जियाउल हक़ 

आज मुहर्रम की दस तारीख़ है,आज ही के दिन क़र्बला में हज़रत हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद कर दिया गया था.
इस्लामी महीने 61 हिजरी में यजीद ने इमाम हुसैन को कत्ल करने के लिए इराक के शहर कर्बला में एक लाख लोगों का लश्कर भेजा.हुसैन इब्ने अली, यजीद से जंग करने के इरादे से नहीं निकले थे.वह परिवार की औरतों, बच्चों व अन्य लोगों के साथ सफर पर थे.यजीद चाहता था कि हुसैन जुल्म व हलाल को हराम करने में उनका साथ दें लेकिन उन्होंने मना कर दिया.2 मुहर्रम को इमाम हुसैन जब कर्बला पहुंचे तो वहां उनको यजीद के लश्कर ने घेर लिया.
यजीद के सेनापति उमर इब्ने साद ने इमाम हुसैन से कहा कि अगर वह यजीद की बात नहीं मानेंगे तो उनके बच्चों, दोस्तों, रिश्तेदारों सबको कत्ल कर दिया जाएगा.इमाम हुसैन ने रसूल के इस्लाम को बचाने के लिए यजीद की बात नहीं मानी.

सात मुहर्रम को इमाम हुसैन पर पानी बंद कर दिया गया.बच्चे और औरतें तीन दिन तक गर्मी व प्यास से तड़पते रहे.इसमें इमाम हुसैन का 6 महीने का मासूम बच्चा अली असगर भी शामिल था
दस मुहर्रम (आज के दिन)को इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों को हक पर कुर्बान कर दिया लेकिन जुल्म के आगे नहीं झुके.मुहर्रम का असल संदेश यही है.हक़ ,इंसाफ़,सत्य के लिए जान भी देना पड़े तो हुसैन के रास्ते पर चलो,वक़्त के यज़ीद से न डरो.