यूरोप में इलेक्ट्रो होमियोपैथी को अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, तो भारत में क्यों नहीं – डॉ. बाहूबली शाह
नई दिल्ली: कई वर्षों से चली आ रही इलेक्ट्रो होमियोपैथी को मान्यता दिलाने की मांग को लेकर इलेक्ट्रो होम्योपैथिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ऑफ़ इंडिया (ईआरडीओ) ने 7 नवंबर को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रस्ताव सौंपा और जल्द से जल्द इसे स्वीकृत कराने की मांग भी की। मंत्रालय को प्रस्ताव देते वक़्त उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, बंगाल, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरयाणा, और हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस मांग व प्रस्ताव को लेकर इआरडीओ ने रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस वार्ता का भी आयोजन किया। इस प्रेस वार्ता में मौजूद होमियोपैथी काउंसिल महाराष्ट्र के पूर्व अध्यक्ष डॉ. बाहुबली शाह ने इलेक्ट्रो होमियोपैथी की अहमियत और खूबियों का बखान किया साथ ही उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रो होमियोपैथी सस्ती, सुलभ और हानिरहित चिकित्सा पद्धति है जिसे अपनाने की सख्त की जरुरत है। उन्होंने पत्रकार वार्ता में यह सवाल भी उठाया कि यूरोप के बहुसंख्यक देशों में इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा को अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, तो हमारे देश में इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा को मान्यता मिलने में इतनी देरी क्यों की जा रही है।
इस मौके पर इआरडीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के.पी.एस चौहान ने कहा कि उनके संगठन ने मंत्रालय द्वारा दी गई सभी शर्तों को पूरा करते हुए प्रस्ताव को सौंपा है और वह भारत सरकार से अपेक्षा करते हैं कि एक निर्धारित समय तक इलेक्ट्रो होमियोपैथी को मान्यता प्रदान करते हुए इसके चिकित्सकों को उनके संवेधानिक अधिकार प्रदान किया जाए।
डॉ चौहान ने आगे बताया कि इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा को सरकार दवारा नियंत्रित न होने के कारण आज तक इस पद्धति की उन्नति नहीं हो पा रही है। इस मौके पर इआरडीओ के पैट्रन डॉ. जगदीप सिंह नारंग, उपाध्यक्ष सतीश जगदाले, महासचिव डॉ. अजित सिंह एवं सचिव डॉ. एस शर्मा भी मौजूद रहे।